अमरनाथ बिंद, दर्जी


अमरनाथ ने बढ़िया सिला। उम्मीद से ज्यादा अच्छा।
“गुरुजी, बार बार आपको दुकान पर आना न पड़े, इसलिये सिल कर घर पर ही ले आया हूं। आपके बगल के गांव मेदिनीपुर में ही मेरा घर है। नया-पुराना, जौन भी काम हो मुझे दीजियेगा।”

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