उस दिन संजय के घर जा कर देखा। संजय शाम को बेलपत्र तोड़ कर आया था। हेण्डपम्प पर अपना पैर-हाथ धो रहा था। उसकी बेलपत्रों की गठरियां एक ओर रखी थीं। उसकी माँ ने बताया – संजय अब रात का भोजन करेगा। फिर सो जायेगा।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
उस दिन संजय के घर जा कर देखा। संजय शाम को बेलपत्र तोड़ कर आया था। हेण्डपम्प पर अपना पैर-हाथ धो रहा था। उसकी बेलपत्रों की गठरियां एक ओर रखी थीं। उसकी माँ ने बताया – संजय अब रात का भोजन करेगा। फिर सो जायेगा।