महंत कैलाश गिरि, नागा बाबा जूना अखाड़ा

सवेरे मैंं अपने घर परिसर में एक घण्टा साइकिल चला चुका था। घर में अकेला था तो खुद एक थर्मस चाय बना कर पोर्टिको में बैठा चाय पी रहा था। एक डिब्बे में रखी फीकी नमकीन चिडियों को डालता जा रहा था। चरखियां, मैना, रॉबिन, बुलबुल, गिलहरी और कौव्वे हाजिरी लगा गये थे। लंगड़ा कौव्वा थोड़ा देर से आया। वह नहीं दिखता तो फिक्र होती है। विकलांग है तो कोई और ठौर ठिकाना भी नहीं है उसका। घर का सदस्य है तो फिक्र होनी ही है।

मैं इन्ही सब में मगन था कि गेट पर एक सफेद कार आ कर खड़ी हुई। मेरे घर अमूमन कोई आता नहीं। बिना पूर्व सूचना के तो नहीं ही आता। मेरे पड़ोसी टुन्नू पण्डित, मेरे साले साहब, नेता हैं। उनसे मिलने लोग आते ही रहते हैं। मुझे लगा कि वैसा ही कोई आया होगा। और वैसा ही था। एक बाबा जी थे। माथे और हाथों पर गेरुआ त्रिपुण्ड बना था उनके। कद काठी रोबदार थी। उन्होने बताया कि वे दो साल से तो नहीं आये पर पहले मेरे पड़ोसी के यहां आते रहे हैं। वे काशी जा रहे थे। सवेरे चाय की इच्छा थी। सो टुन्नू पण्डित को तलाशते आ गये। इस बीच टुन्नू जी के घर लोहे का जंगला बन गया है और बड़ा गेट लग गया है। अत: वे कुछ असमंजस में पड़ गये थे।

मैने उन्हें बताया कि टुन्नू पंडित घर पर ही हैं। अगर मिलना चाहते हैं तो हो आयें। वे वहां गये। काफी देर दरवाजा खटखटाते रहे। कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

घर में मैं अकेला था। अपनी चाय खुद बनाई थी। नौकरानी भी आठ बजे के पहले नहीं आती। बाबा जी के लिये मुझे चाय फिर बनानी पड़ती। मैने उन्हें बताया कि टुन्नू पंडित घर पर ही हैं। अगर मिलना चाहते हैं तो हो आयें। वे वहां गये। काफी देर दरवाजा खटखटाते रहे। कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो मैने एक बार फिर गेट पर जा कर देखा और उन्हें अपने घर बुला लिया। पोर्टिको में उन्हें बिठा कर कहा कि पांच मिनट इंतजार करें, तब तक चाय बना लाता हूं।

महंत कैलाश गिरि, नागा बाबा

चाय उनके लिये बनाई और उनके ड्राइवर के लिये भी। फिर मैं उनके पास बैठा। बातचीत में उनका परिचय मिला। वे महंत कैलाश गिरी, नागा बाबा, जूना अखाड़ा के हैं। उनका आश्रम कई जगह है। मूलत: मुरादाबाद में। काशी तो जूना अखाड़ा की मुख्य गद्दी है। वहीं जा रहे हैं। प्रयाग में अगले साल महाकुम्भ है। उस दौरान माघ-कल्प-वास करेंगे। हर माघ वहीं रहते हैं। बारह साल पहले के महाकुम्भ में, जब रेलवे स्टेशन पर भगदड़ हुई थी, तब भी वे मेला क्षेत्र में कल्पवास कर रहे थे। काशी के बाद वे उज्जैन जायेंगे। महाकाल भी जूना अखाड़ा का गढ़ है।

बातचीत करने के लिये मेरे पास धर्म-कर्म के विषय नहीं थे। यूं उनका वेश मुझे बहुत अपील भी नहीं कर रहा था। वे सम्भवत: अपेक्षा कर रहे हों कि सवेरे एक संत के आकस्मिक आगमन से मैं कृतार्थभाव से मिलूंगा, मैं वैसा भी नहीं जताना चाहता था। उनसे मैने चिड़ियों और प्रकृति की बात की। यह भी कहा कि मेरे मन में आज विचार आ रहा है कि अपनी साइकिल ले कर नर्मदा परिक्रमा पर निकल जाऊं। वे महंत हैं। क्या मेरी नर्मदा परिक्रमा के दौरान सहायता कर सकते हैं?

गिरी जी ने कहा कि मध्यप्रदेश में – रींवा, व्यौहारी, शहड़ोल आदि में उनके परिचित हैं। फलाने एमएलए, बिजनेस मैन हैं जो मदद करेंगे। गिरी जी से मैने स्पष्ट किया कि किसी नेता या धनाढ्य की सहायता नहीं, मुझे तो सामान्य व्यक्तियों की सहायता चाहिये होगी। गिरि जी समझ गये। बोले – एमएलए आपसे एमएलए के रूप में नहीं मिलेगा। बिजनेसमैन अपना धन दिखाने की कोशिश नहीं करेगा।

जाते जाते मेरे परिवार को, मेरी पत्नी, बिटिया-दामाद और बेटा-बहू को भी आशीर्वाद दे कर गये।

चलते चलते कैलाश जी ने अपनी इच्छा व्यक्त की – मैं उनकी कार में तेल भरवा दूं। मैने कहा कि वह मैं नहीं कर सकता। मेरे पड़ोसी तो पेट्रोल पम्प के मालिक हैं। टुन्नू पण्डित, जब वे चाय पी रहे थे तो घर से निकल कर पेट्रोल पम्प पर ही जाते दिखे थे। गिरि जी अगर हाईवे पर पास में उनके पेट्रोल पम्प पर चले जायें तो शायद वे सहायता कर दें।

चाय के बाद मैने गिरि जी को विदा किया। उनका फोन नम्बर मैने ले लिया है। कभी नर्मदा परिक्रमा के लिये निकला तो उनकी सहायता की याचना करूंगा। दो कप चाय शायद काम आ जाये। पर उनकी कार में पेट्रोल तो मैने भरवाया नहीं। :sad:

सवेरे के मित्र मेरे घरपरिसर के पेड़ पौधे और जीव होते थे। आज मेरा सौभाग्य था कि बाबा जी अपने से आ गये। जाते जाते मेरे परिवार को, मेरी पत्नी, बिटिया-दामाद और बेटा-बहू को भी आशीर्वाद दे कर गये। “वे सभी स्वस्थ्य रहें और उनकी मनोकामनायें पूरी हों।” एक कप चाय पर यह बड़ा आशीर्वाद! भगवान की बड़ी कृपा बरसी आज!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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