कल्पना में रेल कथा


<<< कल्पना में रेल कथा >>> मैं मचान पर बैठता हूं तो आधा किलोमीटर दूर रेलवे फाटक से गुजरती ट्रेने देख मेरे अतीत से प्रेरित; पॉपकॉर्न की तरह, कथायें फूटने लगती हैं। कुछ इस तरह लगता है कि मैं अर्धनिद्रा में चला गया हूं और केलिडोस्कोप में सीन-प्लॉट-पात्र-घटनायें बन बिगड़ रहे हैं। जमीन से सातContinue reading “कल्पना में रेल कथा”

15 दिसम्बर – छोटी पोस्टें


#कड़ेप्रसाद फिर हाजिर थे। मूंग की नमकीन लिये थे। साथ में गुड़हवा लेडु‌आ भी था। बताया कि लेडु‌आ हिट हो गया है। पचास किलो तक निकल जा रहा है। पांच दस किलो तो स्कूल में मास्टराइनें ही ले ले रही हैं। इतनी जल्दी फिर आने का कारण मुझे समझ आया कि लेड़ुआ हिट होने परContinue reading “15 दिसम्बर – छोटी पोस्टें”

ओमप्रकाश मुर्गीपालक


*** ओमप्रकाश मुर्गीपालक *** उस मुर्गी खाने में झिझकते हुये मैं प्रवेश कर गया। पूर्णत: शाकाहारी और लहसुन-प्याज को भी नापसंद करने वाला उस ब्रायलर पोल्ट्री फार्म को देखने इसलिये गया कि उस व्यवसाय का कुछ गणित समझ पाऊं। इस जिज्ञासु वृत्ति के कारण मैं कई अप्रिय स्थानों पर जा चुका हूं। एक बार तोContinue reading “ओमप्रकाश मुर्गीपालक”

Design a site like this with WordPress.com
Get started