नर्मदापरिक्रमा के पदयात्री प्रेमसागर कल रात मेरे घर पर पहुंचे। वे डिंडोरी-शहडोल-प्रयाग से बस यात्रा करने आये।
बोल रहे हैं अब देवोत्थानी एकादशी के समय ही मंडला के पहले चाबी से अपना लाठी उठायेंगे आगे की यात्रा को। लाठी वहीं मंदिर के पुजारी के यहां छोड़ आये हैं – संकल्प का प्रतीक।
नवम्बर में मौसम बहुत सुहावना होगा। अब उनके साथ जुगलबंदी तब होगी जब वे नर्मदा तीरे तीरे चलेंगे, हाईवे के मार्ग से नहीं।
यहां से अपने घर जायेंगे बाबाजी!
नर्मदे हर!


Nice post
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