वनतुलसी की गंध, बांस का पुल, बघेरे की आहट और गेंहुअन का भय


नीलकंठ की आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा दिन 2 सवेरे आंख खुली तो सब कुछ चुप था। रात की जद्दोदहद याद आई। रात में बांई ओर नर्मदा की धारा थी, और दाहिने – मच्छरों का मोर्चा। टॉर्च की रौशनी में ओडोमॉस की ट्यूब निकाल मैने उसे सारे खुले अंगों पर मला था। तब जब मच्छरों ने युद्धविरामContinue reading “वनतुलसी की गंध, बांस का पुल, बघेरे की आहट और गेंहुअन का भय”

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