कीड़ी – पद्मजा पाण्डेय की पोस्ट

Kidee

तेईस अक्तूबर को मेरा जन्मदिन था। मैं बारह साल की हो गई। मैं प्रयागराज में सातवीं क्लास में पढ़ती हूं। वहां से हम दिवाली की छुट्टियों में गांव आये हैं और मेरा जन्मदिन गांव में मनाया गया।

गांव में मेरे सारे दोस्त दलित बस्ती (लोग उस बस्ती के बारे में ऐसा ही बोलते हैं) के हैं। मेरे गांव आने पर वे घर में आने लगते हैं और दिन में चार पांच घंटे हम लोग खेलते हैं। मेरे बाबा को इस तरह खेलना पसंद नहीं। जब छत पर हम धम धम चलते और कूदते हैं तो उनकी दोपहर की नींद डिस्टर्ब होती है।

नींद डिस्टर्ब होना उन्हें पसंद नहीं। मेरी दोस्तों में कोई फूल तोड़ लेता है तो मेरी दादी को बहुत ही बुरा लगता है। फिर भी उन्होने मुझे और मेरे दोस्तों का आना रोका नहीं।

दादी का कहना है कि इसी बहाने घर में कुछ रौनक रहती है। वर्ना कौन आता जाता है?

जन्मदिन को मनाने मेरे बीस दोस्त आये। सब के साथ हमने मस्ती की। पूरे घर को सिर पर उठा लिया। मेरे दोस्तों के अलावा अहाता से अदिति और चार बहन भाई भी आये। उन्होने भी एनज्वॉय किया – पर वे मेरे दोस्तों से थोड़े अलग रहे।

खेल कूद के बाद केक काटा गया। मैने सब को बांटा। मेरी मम्मी, अरुणा आंटी और सुरसत्ती आंटी ने पूड़ी सब्जी बनाई थी। साथ में मोतीचूर का लड्डू। हमने पांत में बिठा कर सबको भोजन कराया।

कीड़ी – मेरा सबसे अच्छा दोस्त

इन बीस दोस्तों में कौन सबसे अच्छा लगा मुझे? अगर मन से कहूं तो कीड़ी लगा। उसका नाम शिवम है। वह सबसे छोटा था। अच्छे से सज कर आया था। अपनी बस्ती से अरुणा आंटी के घर से बड़ा स्पीकर ले कर आया था – जिसपर गाने बजा कर हमने डांस किया।

कीड़ी के पास छोटी साइकिल है। वह उसपर स्पीकर लाद कर पैदल ले कर आया था। किसी और को हाथ नहीं लगाने दिया। वह चाहता था कि सब मानें कि वह स्पीकर लाने का अच्छा काम कर रहा है।

बड़े सलीके से उसने खाना भी खाया। अपने पत्तल को पूरी तरह साफ किया। कोई पूरी-सब्जी बरबाद नहीं की।

चीनी अपने दोस्तों को भोजन कराती हुई

कीड़ी सबसे छोटा था दोस्तों में, पर सबसे अच्छा लगा मुझे। मेरे स्कूल में भी मेरे बहुत दोस्त हैं, पर कीड़ी जैसा हंसमुख और हेल्पफुल कोई नहीं है। हां, उसका नाम कीड़ी क्यों है? इसपर उसने बताया कि जब वह सो रहा था तो उसके आगे के दांत कोई चूहा कुतर गया था। इसलिये लोग कीड़ी बुलाते हैं।

मेरी दादी बताती हैं कि उसे शायद मिठाई ज्यादा खाने से केविटी से दांत काले हो गये हैं। इसी लिये वह फोटो खिंचाते समय अपने दांत नहीं दिखा रहा था। वैसे वह खूब हंसता-बोलता है।

मैं चाहती हूं कि सब बच्चे कीड़ी जैसे हेल्पफुल, काइंड और हंसमुख बनें। कीड़ी यानी शिवम जैसे।

आपके आसपास भी कोई कीड़ी जैसा बच्चा है?! बताइये उसके बारे में!!!

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पोस्ट लेखक – पद्मजा पाण्डेय, कक्षा 7वीं।

ज्ञानदत्त पाण्डेय का कथ्य – मैं अब सत्तर साल का हो रहा हूं। भारतीय केलेंडर के हिसाब से तो मैं दिवाली के दिन जन्मा था। तो सत्तर का हो ही गया।

इस हिसाब से मैने अपने ब्लॉग का हेडर/कलेवर बदल लिया है और ब्लॉग के नजरिये में भी अगले सप्ताहों में परिवर्तन होगा। अंगरेजी महीने में जब जन्मदिन आयेगा, तब तक काफी सोच पुख्ता हो जायेगी। वह सब आगे स्पष्ट होगा।

चिन्ना या पद्मजा और मुझमें 58 साल का अंतर है। मैं चाहता था कि वह गांवदेहात में रहे और पढ़े। पर लॉकडाउन के दौरान उसके माता-पिता ने समझा कि गांव में पढ़ाई का माहौल ही नहीं। वे प्रयागराज शिफ्ट हो गये और मैने चिन्ना को पढ़ाने के लिये रोज एक घंटे का वीडियो कॉल का माध्यम चुना।

इंटरनेट की कमियों को देखते हुये वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की भी सीमायें हैं, पर काम चल रहा है। मुझे लगता है कि चिन्ना में लेखन की सम्भावनायें हैं। सो, मैने उसे अपने ब्लॉग में बतौर अतिथि लेखक जोड़ा है। अभी उसकी उक्त पोस्ट में काफी कुछ परिवर्तन सुधार मैने किया है। पर समय के साथ वह दक्ष होती जायेगी, इतना मुझे यकीन है।

अच्छा लग रहा है उसे इंट्रोड्यूज़ करना। आपको कैसा लगा यह प्रयास?


Published by Padmaja Pandey

I am studying in Standard 7.

14 thoughts on “कीड़ी – पद्मजा पाण्डेय की पोस्ट

  1. This is really very inspiring post where feeding nearby kids and bring happiness in them. One coincidence with your Birthday, my daughter was also born on DIwali only. That’s why she celebrates her birthday 4 time every year. 1) Diwali 2) English Date 3) Diwali week as Birthday week 4) English Date week as Birthday week. :)

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  2. अच्छी कोशिश की है पद्मजा ने। उसे ढेर सारा आशीर्वाद। बाकी लेखन जैसे जैसे होता रहेगा वैसे वैसे निखरता रहेगा। हम सबकी शुरुआती पोस्टों में भी कमियाँ थी जिनमें की सुधार होता गया और अब भी होता चला जा रहा है। आगे आने वाली पोस्ट्स की प्रतीक्षा रहेगी। ब्लॉग में नया दृष्टिकोण देखने को मिलेगा।

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  3. बहुत बढ़िया! AI की वजह से जिन लोगों को लिखना नहीं आता था वो भी अब लेखन का उत्पादन करने लगे हैं, पर जब उन लोगों से मिलते हैं तो पता चलता है की उनमें अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल नहीं है। कुछ पहले से था नहीं और कुछ अब AI की वजह से हो नहीं पायेगा। मेरे अनुभव और भारतीय शिक्षा पद्धति की लचरता के अनुसार आने वाले समय में अपने विचारों को तार्किक रूप से पिरोने और प्रस्तुत करने वाले लोग ज्यादा उन्नति करेंगे। इस विचार से आपका ये कदम सही दिशा में है।
    R

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    1. एआई को लोग लेखन के लिये इस तरह इस्तेमाल कर रहे हैं मानो वह जरखरीद घोस्ट-राइटर हो। उससे आउटपुट भी वैसा ही मिलता है। एआई आपको सामग्री दे सकता है, पर लेखन की दृष्टि तो आपको अपनी इस्तेमाल करनी होगी। लोग वह फर्क नहीं समझते।

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  4. वाह! क्या खूब लिखा है, अपने बाबा की लेखनी को भी पछाड़ देंगी आप! आशीर्वाद! हाँ! कीड़ी के दांतों की फोटो भेजना, शायद हम कोई सलाह दे सकें! ख़ुश रहिए! ऐसे ही मस्ती से सालगिरह मनाते रहिए , और कभी कभी बाबा की नींद में ख़लल डालने वाला भी कोई चाहिए! हाँ! दोस्तों को कहें – फूलों को पोधों पर ही रहने दें तो सुंदर दिखते हैं!

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  5. चिन्ना को बहुत सारा प्यार। अच्छा लिखती है। बस एक रिकवेस्ट है, जब अंग्रेजी शब्द नागरी लिपि में लिखे चिन्ना तो इतना ध्यान रखे कि नगरी वर्तनी अंग्रेजी उच्चारण के माफ़िक ही हो, जैसे कि एन्जॉय.

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  6. चिन्ना पांडे का यह ब्लॉग पोस्ट बचपने की सोंधी महक का फ्लेवर लिए हुए था.
    चिन्ना जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई ।

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  7. पोती में बाबा के गुण परिलक्षित हो रहे हैं🌹चिन्ना पांड़े निस्संदेह अपने मम्मी पापा तथा बाबा दादी का नाम रोशन करेगी💐

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  8. It’s so good to see Padmja first post, congratulations to Dada – Poti ki jugalbandi.

    I am sure, many more would come in future.

    looking fforward

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