श्री त्रिस्त्रोता शक्तिपीठ और आगे

23 अप्रेल 2023

गीता प्रेस की शक्तिपीठ दर्शन में श्री त्रिस्त्रोता शक्तिपीठ के बारे में एक पैराग्राफ है –

पूर्वोत्तर रेलवे में सिलीगुड़ी-हल्दीवाड़ी रेलवे लाइन पर जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन है। यह जिला मुख्यालय भी है। इस जिले के बोदा इलाके में शालवाड़ी ग्राम है। यहां तीस्ता नदी के तट पर देवी का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां देवी (सती) का वाम चरण गिरा था। यहां की शक्ति ‘भ्रामरी’ और भैरव ‘ईश्वर’ हैं।

बस इतना ही विवरण है। इस शक्तिपीठ पर कोई विकिपेडिया पेज नहीं मिला। अलका पाण्डे की पुस्तक “शक्ति”; जिसमें 51 शक्तिपीठों पर अध्याय हैं; उनमें त्रिस्त्रोता का वर्णन नहीं है। भ्रामरी शक्ति के बारे में अनेक पीठ हैं। हावड़ा जिले के उलुबेरिया तहसील के आम्टा में एक भ्रामरी शक्तिपीठ का दर्शन प्रेमसागर पहले कर चुके हैं। फुलबारी में भी माँ भ्रामरी मंदिर था, जिसके कपाट बंद होने के कारण कल प्रेमसागर बाहर से ही प्रणाम कर आगे बढ़े।

भ्रामरी या भौंरी का अवतार देवी ने पौराणिक कथा अनुसार अजय असुर के अजय के हृदयस्थल को विदीर्ण कर संहार किया था। अजय ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था और देवताओं की पत्नियों पर वर्चस्व जताने लगा था। पत्नियों की गुहार पर देवी ने अजय को मारा।

आगे प्राग्ज्योतिषपुर में नरकासुर का साम्राज्य होने की कथायें हैं। यहां त्रिस्त्रोता या जलपाईगुड़ी में अजय असुर की बात है। सम्भवत: एक काल में यह इलाका आर्येत्तर जातियों, किरातों का था। महाभारत काल में इनसे सम्बंध बनाने की कथायें अर्जुन, भीम को ले कर भी हैं।


प्रेमसागर की यात्रा चलने की है। उनकी यात्रा में इतिहास या मिथक की जानकारी जुटाने की जिज्ञासा का अंश अधिक नहीं है। अकेले यात्रा कर रहे हैं और साधन की अल्पता के साथ तो उनकी ऊर्जा चालीस-पचास किमी चलने, सात्विक भोजन तलाशने और रुकने का स्थान ढूंढने में चुक जा रही है। अन्यथा समय होना चाहिये था लोगों से आदान प्रदान करने, समाज और भूगोल/इतिहास/मिथक जानने में। फिर भी, वह जितना कर ले रहे हैं, वह अभूतपूर्व है। … मेरी यह इच्छा जरूर है कि उनके साथ एक चेला या संगी होता तो इस ट्रेवलॉग में कई आयाम जुड़ जाते।

शायद कभी मैं प्रेमसागर के साथ साइकिल यात्रा करना चाहूं। पर वह कठिन है। मेरी उम्र और प्रकृति साथ नहीं देगी। मैं भी प्रेमसागर की तरह अकेला टाइप जीव हूं। चेलाई करने के लिये अनुपयुक्त! :lol:


फुलबारी की लॉज से श्री त्रिस्त्रोता माँ का मंदिर ज्यादा दूर नहीं। नक्शे में 22 किमी दीखता है। दोपहर बारह बजे तक प्रेमसागर वहां के दर्शन कर चुके थे। बाद में मुझे बताया कि एकांत में, जंगल में है वह मंदिर। व्यवस्था अच्छी है। वहां दर्शन करने वाले बहुत थे पर सब स्थानीय। बाहर से आने वालों के लिये ठहरने की व्यवस्था है पर शर्त है कि लोग समूह में होने चाहियें। प्रेमसागर अकेले थे। कोई और बाहरी था भी नहीं, जिसके साथ जुड़ कर ठहरने के लिये समूह बना पाते। उसके अलावा दिन में चले भी अधिक नहीं थे। उनका इरादा दोपहार में और भी दूरी तय करने का था।

श्री त्रिस्त्रोता देवी शक्तिपीठ

अंतत: वे 19 किमी और चले। दिन भर में 45 किमी, या उससे कुछ ज्यादा। दिन भर के यात्रा विवरण देते हुये उन्होने बताया – “भईया, सांप बड़े बड़े दिखे। नहर का जल तो पता नहीं क्यों बहुत काला था। समझ नहीं आया। चाय के बागान तो ढेरों नजर आये। चाय के बागान में ज्यादा बारिश से पानी न रुके उसके लिये उसके लिये नाली जैसा बना कर निकासी का इंतजाम भी दिखा। चाय के बागानों की देख रेख में लोग खूब दिमाग लगाते हैं। एक जगह गैंडे की मूर्ति भी दिखी किसी टूरिस्ट जगह पर। पूरा इलाका हरा भरा है। उमस नहीं थी। मौसम ठण्डा था। चलने में दिक्कत नहीं थी। … भईया यहां सोपारी की भी खेती होती है। सागौन के जंगल भी बहुत दिखे। बांस का भी खूब इस्तेमाल दिखा। नहर जो महानंदा को तीस्ता से जोड़ती है उसमें पानी महानंदा की ओर से तीस्ता की ओर बह रहा था।”

दिन भर के लिये चित्रों में कुछ

कुल मिला कर रास्ता रमणीय रहा होगा। लोगों से बातचीत, आदान प्रदान शायद ज्यादा न हुआ हो। चलते ही रहे प्रेमसागर। और चित्र भी ढेरों खींचे। मुझे कुल 81 चित्र भेजे!

शाम रुकने के लिये लॉज मिली – होटल राजमहल। उनका किराया 1000 रुपया था। पर होटल के मालिक शुभेंदु दत्त जी ने अखबार में प्रेमसागर के बारे में आईटम देखा था। उसका परिणाम यह हुआ कि उन्होने आधी छूट दे दी उन्हें। किराया 500रु देना पड़ा। और भोजन भी सस्ते में – सत्तर रुपये में मिला।

टोपी लगाये शुभेंदु दत्त जी। हाथ जोड़े होटल के मैनेजर साहब हैं। प्रेमसागर को उनके अखबार में छपने का लाभ मिला। होटल का किराया आधा हो गया।

प्रेमसागर कामाख्या दर्शन कर जल्दी लौटने की बात करते हैं। बारिश जब तब हो जाती है। अभी मौसम ने बहुत व्यवधान नहीं डाला है यात्रा में, पर जैसे जैसे पूर्व में बढ़ेंगे, बारिश और उमस बढ़ेगी, ऐसा अहसास है। उसके अलावा बिहार में उन्हें जो भाषा-देश का अपनापन मिला, वह यहां कम मिल रहा है। आगे के बारे में बात करना प्रारम्भ कर दिया है – “भईया, बनारस के लिये गौहाटी से गाड़ियां ज्यादा दिख रही हैं। कामाख्या दर्शन कर मैं बनारस की गाड़ी पकड़ूंगा। कल इतनी दूरी तय करूंगा कि तीन सैकड़ा से कम बचे (दूरी 300 किमी से कम बाकी रहे)।”

हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:!

प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
*****
प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 103
कुल किलोमीटर – 3121
मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल।
शक्तिपीठ पदयात्रा
श्री त्रिस्त्रोता शक्तिपीठ

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

One thought on “श्री त्रिस्त्रोता शक्तिपीठ और आगे

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started