कौन है इठलाती, बल खाती, नाचती नदी – नर्मदा या गंगा?


प्रेमसागर नर्मदा किनारे चल रहे हैं और मेरा काम उनका यात्रा मार्ग निहारना हो गया है। नक्शे में देखता हूं, नर्मदा सीधे नहीं चल रहीं, घुमावदार बल खाती चलती हैं। यही नर्मदा का सौंदर्य है जिसका बखान वेगड़ सौंदर्य की नदी नर्मदा में करते हैं? पुस्तक के प्रारम्भ में अमृतलाल वेगड़ जी कहते हैं –Continue reading “कौन है इठलाती, बल खाती, नाचती नदी – नर्मदा या गंगा?”

सुडानिया से मोतलसिर


जून 13 उनतीसवां दिन। श्रद्धालु मिलते गये, सूरजकुंड की थाह नहीं मिली, और लू ने प्रेमसागर को रोक दिया — फिर भी यात्रा रुकी नहीं कल 13 जून को सुडानिया से चल कर भारकच्छ पंहुचे प्रेमसागर। सवेरे पांच बजे सुडानिया के आश्रम से निकले थे। सवेरे एक सज्जन देवेश पटेल जी ने चाय पिलाई। चलतेContinue reading “सुडानिया से मोतलसिर”

पीलीकरार से सुडानिया


जून 12, अठाईसवां दिन। प्रेमसागर चल रहे हैं; मैं लिखते-लिखते बह रहा हूँ। कुछ ज्यादा ही बह(क) रहा हूं! पीलीकरार से पांच बजे निकल लिये प्रेम गुरूजी। निकलते समय एक सज्जन नर्मदा प्रसाद जी ने एक गमछा और इक्यावन रुपया अर्पण कर विदाई की उनकी। कल एक गमछा पाये और आज एक और। क्या करेंगेContinue reading “पीलीकरार से सुडानिया”

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