अजीब लगता है। हिन्दी ब्लॉग जगत में बहुत प्रतिभा है। बहुत आदर्श है। बहुत सिद्धांत हैं। पर आम जिन्दगी स्टिंक कर रही है। मैं घर लौटते समय अपने ड्राइवर का बन्धुआ श्रोता होता हूँ। वह रेडियो पर फोन-इन फिल्मी फरमाइशी कार्यक्रम सुनाता है। एक लड़की बहुत प्रसन्न है कि उसका पहली बार फोन लग गया है।Continue reading “ऐसा क्यूं है?”
Author Archives: Gyan Dutt Pandey
साइकल और बदला समय
मेरी पत्नी और मैं सड़क पर चल रहे थे। पास से एक छ-सात साल का बच्चा अपनी छोटी साइकल पर गुजरा। नये तरह की उसकी साइकल। नये तरह का कैरियर। टायर अधिक चौड़े। पीछे रिफ्लेक्टर का शो दार डिजाइन। आगे का डण्डा; सीधा तल के समान्तर नहीं, वरन तिरछा और ओवल क्रास-सेक्शन का। इस प्रकारContinue reading “साइकल और बदला समय”
एक और अंगुलिमाल
स्वामी जगदात्मानन्द ने कन्नड़ भाषा में युवकों को नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की तरफ आकर्षित करने को एक पुस्तक लिखी थी। उसका अन्य भाषाओं में अनुवाद छपा। उनकी इस पुस्तक “जीना सीखो” को अद्वैत आश्रम, कोलकाता ने छापा है। उस पुस्तक में एक प्रसंग एक ऐसे किशोर और ऐसे फादर का है जो हमें बताताContinue reading “एक और अंगुलिमाल”
