यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो — २


(कल से आगे—) यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो, तो छात्रो‍ के रूप मे‍ हम गम्भीर अध्ययन के कालयापन के स्थान पर अपने पाठ्यक्रम से अलग की गतिविधियो‍ मे‍ ही अधिक रुचि लेंगे और हम ऐसे विचारो‍ तथा कार्यों मे‍ व्यस्त रहेंगे, जो हमारे जीवन कालिका को गलत आकार देंगे और इसके फ़लस्वरूप हमContinue reading “यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो — २”

यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो —


यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो तो हमारी शक्तियों की बजाय हमारी दुर्बलतायें ही अधिक प्रभावी होंगी, हमारे सौभाग्य की तुलना में हमारा दुर्भाग्य ही अधिक प्रबल होगा, हमारे जीवन में सुख शांति की जगह शोक विषाद की ही बहुतायत होगी और हमारे भविष्य की तुलना में हमारा अतीत ही अधिक गौरवशाली होगा। यदिContinue reading “यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो —”

टिप्पणी नीति – कुछ यूंही विचार


कमेण्ट मॉडरेशन बड़ी वाहियात चीज है। अगर आप अपने पाठकों से जुड़ाव महसूस करते हैं तो यह आपको इण्टरनेट और कम्प्यूटर से दूर नहीं जाने देती। तो फिर मेरे जैसा आदमी, जो टिप्पणी मॉडरेशन के खिलाफ लिख चुका था, मॉडरेशन को क्यों बाध्य हुआ? इस बारे में चर्चा होनी चाहिये कि सुस्पष्ट व्यक्तिगत टिप्पणी नीतिContinue reading “टिप्पणी नीति – कुछ यूंही विचार”

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