परसों मेरी पोस्ट के पुछल्ले से एक जबरदस्त सिनर्जेटिक (Synergetic – combined synchronous and energetic) काम हुआ। मैने एक पॉवर प्वाइण्ट शो पोस्ट पर प्रस्तुत किया और उसे रवि रतलामी जी ने वीडियो कन्वर्टर के माध्यम से वीडियो बना कर आनन-फानन में पोस्ट की शक्ल दे दी। मैंContinue reading “सुखी जीवन के सूत्र की सिनर्जी”
Category Archives: आत्मविकास
गधा और ऊँट – च्वाइस इज़ योर्स
गर्दभ अहो रूपम – अहो ध्वनि! (यह मेरी 25 फरवरी 2007 की एक शुरुआती पोस्ट का लिंक है।) आप रूप का बखान करें या ध्वनि का। विकल्प आपके पास है। इतना समय हो गया, पाठक जस के तस हैं हिन्दी ब्लॉगरी के। वही जो एक दूसरे को रूपम! ध्वनि!! करते रहते हैं। महाजाल वाले सुरेशContinue reading “गधा और ऊँट – च्वाइस इज़ योर्स”
यह ब्लडी पसन्दगी की जरूरत
अजीब बात है; पोस्ट लिखने पर वाह-वाह की टिप्पणियों की चाह चाह नहीं जरूरत बन गयी है और कब बनी, पता न चला। चाह और जरूरत में अंतर है। यह दुष्ट सेल्फ-अप्रूवल सीकिंग मन सड़ल्ला है। बड़ी जल्दी कमजोर बन जाता है। चाह को जरूरत (want को need) में बदल देता है। हमारे नेताओं में;Continue reading “यह ब्लडी पसन्दगी की जरूरत”
