परसों एक पिल्ला एक कार से टकरा गया. बहुत छोटा नहीं था. कुत्ते और पिल्ले के बीच की अवस्था में था. कार रुकी नहीं. पिल्ला मरा नहीं. जख्मी होकर पांय-पांय करता रहा. शायद अपंग हो जाये. अपंग होने पर मानव का जीवन दुरूह हो जाता है, जानवर के लिये तो और भी कठिन होगा. मेरीContinue reading “एक घायल पिल्ले की पांय-पांय”
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आलोक पुराणिक और बोरियत
दो शब्द ले लें जिनमे कुछ भी कॉमन न हो और शीर्षक बना दें. कितना ध्यानाकर्षक शीर्षक बनेगा! वही मैने किया है. आलोक और बोरियत में कोई कॉमनालिटी नहीं है. आलोक पुराणिक को मरघट के दृष्य पर लिखने को दे दें – मेरा पूरा विश्वास है कि वे जो भी अगड़म-बगड़म लिखेंगे उससे आप अपनीContinue reading “आलोक पुराणिक और बोरियत”
इण्डियन एक्स्प्रेस हाजिर हो!!!
अरुण शौरी के जमाने से इण्डियन एक्स्प्रेस मेरा पसन्दीदा अखबार है. मैं 2003-04 में गोरखपुर में था. इण्डियन एक्स्प्रेस एक दिन देर से मिलता था, फिर भी मैने उसे जारी रखा. पर जब एक दिन बाद भी उसकी सप्लाई अटकने लग गयी तो जा कर अपनी लॉयल्टी बदली. अब भी मैं नेट पर इण्डियन एक्स्प्रेसContinue reading “इण्डियन एक्स्प्रेस हाजिर हो!!!”
