मेरे मोहल्ले के पास जहां खंडहर है और जहां दीवार पर लिखा रहता है “देखो गधा पेशाब कर रहा है”; वहां साल में नौ महीने जानी पहचानी गंघ आती है पेशाब की। बाकी तीन महीने साफ सफाई कर डेरा लगाते हैं रुई धुनकर। नई और पुरानी रुई धुन कर सिलते हैं रजाई। मैं रुई धुनContinue reading “मोहम्मद यूसुफ धुनकर”
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लल्लू
हमें बताया कि लोहे का गेट बनता है आलू कोल्ड स्टोरेज के पास। वहां घूम आये। मिट्टी का चाक चलाते कुम्हार थे वहां, पर गेट बनाने वाले नहीं। घर आ कर घर का रिनोवेशन करने वाले मिस्तरी-इन-चार्ज भगत जी को कहा तो बोले – ऊंही त बा, पतन्जली के लग्गे (वहीं तो है, पतंजलि स्कूलContinue reading “लल्लू”
हरतालिका तीज
आज सवेरे मन्दिर के गलियारे में शंकर-पार्वती की कच्ची मिट्टी की प्रतिमायें और उनके श्रृंगार का सस्तौआ सामान ले कर फुटपाथिया बैठा था। अच्छा लगा कि प्रतिमायें कच्ची मिट्टी की थीं – बिना रंग रोगन के। विसर्जन में गंगाजल को और प्रदूषित नहीं करेंगी। गंगाजी में लोग लुगाई नहा रहे थे। पानी काफी है वहां।Continue reading “हरतालिका तीज”
