पत्नीजी ने कमरे में लैपटॉप, बिस्तर और रज़ाई के कंफर्ट जोन से भगा दिया है। बताया है कि आज अलाव की भी जरूरत नहीं। आज लॉन में कुर्सियां लगा दी हैं। धूप अच्छी है। आसमान साफ है। वहीं बैठो। कमरा बुहारने दो! और सच में आज लॉन शानदार लग रहा है। कार्पेट घास का आनंदContinue reading “धूप खिली है और लॉन में जगह जमा ली है!”
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पानी में धीरे-2 गर्म होता मेढ़क उबल कर मर जायेगा?
असल में मेढक वह प्राणी नहीं है जो स्थिति का सही सही आकलन नहीं कर पाता। सही आकलन न करने वाले हम हैं। जब हम यह कहानी सुनते हैं और, प्रथमदृष्ट्या, इसे सही मानते हैं; तब हम शायद ही इसपर कोई प्रश्न चिन्ह लगाते हैं!
अ-निमंत्रित
संक्रांति पर समारोह में गुड़ का लड्डू रखा गया है ट्रे में। निमंत्रित लोग खा रहे हैं। एक सहृदय वालेण्टियर उसे भी एक लड्डू दे देता है। एक हाथ में लड्डू ले कर वह तुरंत दूसरा आगे करता है – “एक ठे अऊर दई द। हमार बूढा बा संघे (एक और देदो, मेरी पत्नी भी साथ में है)।”
मतदाता वशीकरण यज्ञ और अन्य बातें
देखा कि गांव की सड़कें जो योगी सरकार ने आते ही ठीक करवाई थीं, अब साढ़े चार साल में उधड़ गयी हैं। उनपर सवार हो कर वोट नहीं खींचे जा सकते। सो बारिश का मौसम बीतते ही वोट-खींचक यज्ञ (या मतदाता वशीकरण यज्ञ) प्रारम्भ कर दिया गया है। सड़क किनारे अलकतरा के ड्रम सीधे खड़े कर उन्हें गरम किया जा रहा है।
#आजसवेरे के दृश्य
गायत्रीमंत्र और वह शक्ति हमें दो दयानिधे वाला गायन योगी आदित्यनाथ के अजेण्डे के हिसाब से तो परफेक्ट प्रार्थना है, पर घोसियाँ और इटवा की मुस्लिम बहुल इलाके के स्कूलों में भी यही प्रार्थना होती होगी तो बहुत कुड़बुड़ाते होंगे मुसलमान। आज सवेरे साइकिल भ्रमण पर यह सब दिखा – घुमई की पेंशन आ गयीContinue reading “#आजसवेरे के दृश्य”
कुनबी का खेत, मचान और करेला
वह अनुभव ज्यादा महत्वपूर्ण था – पूरी तरह एड-हॉक तरीके से गांव की सड़क पर चलते चले जाना। किसी कुनबी के खेत में यूंही हिल जाना। मचान से सोते किसान को उठाना और पपीता खरीदने की मंशा रखते हुये करेला खरीद लेना।