लिखना कितना असहज है!


ब्लॉग लेखन कितना असहज है. लेखन, सम्पादन और तत्पश्चात टिप्पणी (या उसका अभाव) झेलन सरल जीवन के खिलाफ़ कृत्य हैं. आपका पता नहीं, मैं तनाव महसूस करता हूं. विशेषकर चिकाई लेखन (इस शब्द को मैने शब्दकोष और समान्तर कोश में तलाशने का प्रयास किया, असफ़लता हाथ लगी. अत: अनुमान के आधार पर इसका प्रयोग करContinue reading “लिखना कितना असहज है!”

"रोल माडल" और वजन कम करने की बमचक पर रपट


बड़ी बमचक मची है. आलोक ९–२–११ ने एक नयी अनुगून्ज का ऐलान किया है. एक महीने में अपनी पोस्ट सबमिट करनी है. विषय है सन २००७–८ में हिन्दी ब्लॉगरी में मेरा रोल माड़ल. यह लेख अधिकाधिक १२५ शब्दों का होना चाहिये – आलोक ९–२–११ की माइक्रो पोस्टों के अनुकूल. एक ब्लॉगर एक ही एन्ट्री देContinue reading “"रोल माडल" और वजन कम करने की बमचक पर रपट”

अपने आप पर व्यंग का माद्दा और दुख पर फुटकर विचार


परसों मैने लिखी ज्ञानदत्त मोनोपोली ध्वस्त होने की आशंका से परेशान वाली पोस्ट. किसी भी कोण से उत्कृष्टता के प्रतिमान पर खरी तो क्या, चढ़ाई भी न जा सकने वाली पोस्ट. ऐसा खुरदरा लेखन केवल ब्लॉग पर ही चल सकता है. उसमें केवल एक ध्येय था – सिर्फ यह देखना कि अपने पर निशाना याContinue reading “अपने आप पर व्यंग का माद्दा और दुख पर फुटकर विचार”

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