शहरीकरण और ब्लॉगिंग के साम्य


हिन्दी ब्लॉगरी के बारे में "सपाट होते विश्व" (The World is Flat) से उतना साम्य नहीं मिलता, जितना शहरीकरण के अपने आस पास दिख रहे फिनॉमिना या अर्बन रिवोल्यूशन पर किताब पढ़ने से मिलता है। जेब ब्रूगमान की लिंकित पुस्तक आप पढ़ें तो जैसा विभिन्न देशों में पिछले कई दशकों में शहरीकरण के उदाहरण मिलेंगे,Continue reading “शहरीकरण और ब्लॉगिंग के साम्य”

उत्कृष्ट का शत्रु


मैने पढ़ा था – Good is the enemy of excellent. अच्छा, उत्कृष्ट का शत्रु है। फर्ज करो; मेरी भाषा बहुत अच्छी नहीं है, सम्प्रेषण अच्छा है (और यह सम्भव है)। सामाजिकता मुझे आती है। मैं पोस्ट लिखता हूं – ठीक ठाक। मुझे कमेण्ट मिलते हैं। मैं फूल जाता हूं। और जोश में लिखता हूं। जोशContinue reading “उत्कृष्ट का शत्रु”

टिप्पणीयन


सब के प्रति समान दुर्भावना के साथ (खुशवन्त सिंह का कबाड़ा पंच लाइन) – By Anonymous on 6:12 AM बाबा समीरानन्द ji ne Anup ji ki to baja baja diya aur aab agla number apka hi hai. ———– हिन्दी भाषियों के लिये अनुवाद – बेनामी जी की टिप्पणी मसिजीवी के ब्लॉग पर –बाबा समीरानन्द जीContinue reading “टिप्पणीयन”

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