राजकमल, लोकभारती और पुस्तक व्यवसाय


सतहत्तर वर्षीय दिनेश ग्रोवर जी सतहत्तर वर्षीय दिनेश ग्रोवर जी (लोकभारती, इलाहाबाद के मालिक) बहुत जीवंत व्यक्ति हैं। उनसे मिल कर मन प्रसन्न हो गया। व्यवसाय में लगे ज्यादातर लोगों से मेरी आवृति ट्यून नहीं होती। सामान्यत वैसे लोग आपसे दुनियाँ जहान की बात करते हैं, पर जब उनके अपने व्यवसाय की बात आती हैContinue reading “राजकमल, लोकभारती और पुस्तक व्यवसाय”

मेरा चना बना है आली!


गा-गा कर चने बेचने वाले लगता है भूतकाल हो गये। साइकल पर चने-कुरमुरे या चपटे मसालेदार चने का कनस्तर कैरियर पर लादे आगे टोकरी में अखबार के ठोंगे रखे नमकीन चने बेचने वाला गली से निकलता था तो हर मकान से भरभरा कर बच्चे और उनके पीछे बड़े भी निकल आया करते थे। बेचने वालेContinue reading “मेरा चना बना है आली!”

आपकी अंग्रेजी में टिप्पणियोँ का भी स्वागत है!


हिन्दी ब्लॉगरी में लोग हिन्दी को ले कर काफी सेण्टी हैं। बोले तो फिनिकी (finicky – नकचढ़ा, तुनकमिजाज, जिद्दी)। शुरू में हमने काफी रार की। बाद में समझ में आया कि यह कि मामला गहरी जड़ें रखता है। जब तक भाषा पर्याप्त समृद्ध नहीं हो जाती, तब तक अंग्रेजी विरोध ही उसे ऊर्जा प्रदान करेगा।Continue reading “आपकी अंग्रेजी में टिप्पणियोँ का भी स्वागत है!”

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