उन हार्ड-कैशियों के मुकाबले दूसरे छोर पर लगता है सिकंदर। उसने बताया कि पिछले चार साल से वह नेट-बैंकिंग और क्यू.आर. कोड के माध्यम से लेन देन कर रहा है। महीने भर का लगभग 5-6 लाख का ट्रांजेक्शन ऑनलाइन होता है।
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आजम इदरीसी के बहाने बिसरी मध्यवर्गीय जिंदगी
गांवदेहात में रहते हुये मुझे बहुत खुशी तब होती है जब मुझे अपने जीवन की जरूरतें, वस्तुयें और सुविधायें लोकल तौर पर मिलने लगें। वे सब मेरी साइकिल चलाने की दूरी भर में उपलब्ध हों। उनके लिये मुझे वाहन ले कर शहर न जाना पड़े।
रुद्राक्ष, तस्बीह और डिजिटल हज!
ज्योतिर्लिंग यात्रा विवरण तो मेरे ब्लॉग पर है ही। अब मन ललक रहा है कि किसी हाजी तो थामा जाये प्रेमसागर की तरह। उनके नित्य विवरण के आधार पर दो महीने की ब्लॉग पोस्टें लिखी जायें! वह इस्लाम को जानने का एक अनूठा तरीका होगा।
शहराता गांव
हाईवे और रेल लाइन के बीच की आधा किलोमीटर की पट्टी में बड़े फीवरिश पिच पर प्लॉटिंग, दुकानों और रिहायशी इमारतों का निर्माण और जमीन के खरीद-फरोख्त की गतिविधि प्रारम्भ हो गयी है। मेरे गांव से आधा किलोमीटर दूर भी प्लॉटिंग हो रही है। सड़क बन रही है।
मिश्रीलाल सोनकर, सतयुग वाले
कहते हैं भारत ऐसा देश है जो एक साथ बीस शतब्दियों में जीता है। उस हिसाब से यह कल्पना की जा सकती है कि एक अच्छी खासी आबादी सतयुग, त्रेता, द्वापर की भी अभी होगी। मिश्रीलाल की तरह अपने सतयुगी नोश्टॉल्जिया में जीती।
विक्षिप्त पप्पू से बातचीत का (असफल) प्रयास
उसके कपड़े आज साफ थे पर शरीर बिना नहाया। शरीर पर कुछ तरल पदार्थ बहने के निशान भी थे। इकहरा शरीर, बिना किसी इच्छा के, बिना भाव के निहारती आंखें – मुझे उसके बारे में दुख और निराशा दोनो हुये।