पीयूष वर्मा के तैलीय औषध पर फीडबैक


फिलहाल यह माहौल तो मेरे साथ बना ही है कि पैदल चल रहा हूं। खूब साइकिल चला रहा हूं और अपने घर के बगीचे के कड़े अमरूद खाने में बगीचे के अनामंत्रित अतिथि – तोतों के झुण्ड – से स्पर्द्धा कर ले रहा हूं।

आलसी आंख की शल्य चिकित्सा


आलसी आंख छ दशक बाद चैतन्य – देशज भाषा में छटपट – बनी! देर से ही सही, मेरी लुगाई जी पुनर्योवना हो रही हैं और हम जो हैं सो ही हैं! :-)

घुमंतू आयुर्वेदिक डाक्टर


आयुर्वेद का अपना अनुशासन है, पर उसका मानकीकरण नहीं हुआ है। दवाओं का बनाना और उनका वितरण भी उतना पारदर्शी नहीं है, जितनी अपेक्षा की जानी चाहिये। इसके अलावा, रागदरबारी के बैद जी की बकरी के लेंड़ी वाली दवायें भी बेशुमार हैं।

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