पीयूष वर्मा जी ने मुझे स्पीड पोस्ट से औषधियों की शीशियों का पैकेट भेजा। उस पैकेट में जोड़ों के दर्द के लिये दो शीशी तैल था और एक शीशी दांत के स्वास्थ्य के लिये। मैंने उनसे जोड़ों के दर्द का तेल मांगा था; उन्होने मुझे दांत का दर्द वाला तेल बोनस के रूप में दिया। इस बोनस को गंवई भाषा में घेलुआ कहते हैं।
कुछ दिनों बाद उन्होने मुझे इन तेलों के प्रयोग पर एक क्विक फीडबैक देने को कहा। उन्होने तो मुझे एक 90 सेकेण्ड के वीडियो ह्वाट्सएप्प पर भेजने को कहा था; पर मेरे स्वभाव में तो कुछ भी कहना ब्लॉग के माध्यम से ही होता है। सो यह पोस्ट है! 🙂
उम्र बढ़ने के साथ साथ इन दोनो प्रकार के अंगों – जोड़ों और दांत – में कष्ट बढ़ते ही हैं। इसलिये पीयूष जी ने जो कॉम्बो पैक दिया, वह बहुत सही रहा। और मूल पदार्थ की बजाय मुझे घेलुआ – दांत का दर्द निवारक तेल – ज्यादा मुफीद लगा है अब तक!

मेरे नीचे के इनसाइजर दांतों में क्षरण हो रहा है। रूट केनाल हेतु दो सिटिंग करनी होगी; ऐसा दांतों की डाक्टर जी ने कहा है। आगे के उन दो दांतों में उंगली लगाने पर भी दर्द होने लगा था। मुझे यह अहसास था कि इन सर्दियों में तकलीफ ज्यादा ही होगी। पर पीयूष जी का दांतों का तेल बड़े मौके पर मिला। उससे अब दांत बहुत बेहतर लग रहे हैं। दर्द तो नहीं ही हो रहा है। सर्द-गर्म पदार्थ खाने के कारण होने वाली झनझनाहट भी रुपये में दस आना भर कम लग रही है। … खैर, अभी भीषण सर्दी आनी बाकी है। तब देखें कि क्या होता है।
दांतों के तेल के प्रयोग की विधि बताई थी पीयूष जी ने। सवेरे हल्का ब्रश कर (जिससे दांतों में फंसे पदार्थ निकल जायें) एक उंगली से दांतों और मसूड़ों पर अच्छे से मालिश करनी होती है। उसके बाद 10 मिनट इंतजार कर दांतों का सामान्य ब्रश/मंजन/दातुन करना होता है।
एक हफ्ता उक्त तरह से प्रयोग करने पर मैं बेहतर महसूस कर रहा हूं। पहने मैं कड़ा अमरूद काटने के लिये इनसाइजर्स की बजाय मोलर दांतों का प्रयोग करता था। मुझे डर लगता था कि कहीं आगे के दो कमजोर दांत उखड़ न जायें। पर अब सामान्य आदमी की तरह फल बाइट करने में झिझक नहीं होती।
उंगली से दांतों-मसूड़ों पर तेल मलने के समय वह कड़वी दवाई जैसा नहीं लगता। उसका स्वाद सरसों के तेल जैसा होता है। कभी कभी मुझे लगता है कि पीयूष जी की दवाई के स्थान पर कच्ची घानी के सरसों के तेल से भी दांतों और मसूड़ों की मालिश भी शायद वैसी की फलदायक हो। वैसे अभी वह प्रयोग किया नहीं।

ऑस्टियोऑर्थराइटिस की समस्या के लिये उतने मनोयोग से मैंने पीयूष जी के जोड़ों के दर्द के तेल का प्रयोग नहीं किया है। वह प्रयोग करने के बाद बिस्तर या पायजामें में चिपकने वाली धूल बहुत खराब लगती है मुझे। सवेरे नहाने के आधा घण्टा पहले जोड़ों में वह तेल लगाने और फिर नहा कर अच्छे से तौलिये से शरीर पोंछना ठीक रहता है, पर वह अनुशासन ठीक से नहीं बन पाया। दिन में दूसरी बार जोड़ों में वह तेल लगाना झंझटिया लगता है। इसलिये उस तेल का प्रयोगानुशासन पचास फीसदी ही हो पाया है।
पर उसका भी सकारात्मक प्रभाव लगता है। पहले मैं पैदल चलने की बजाय साइकिल ही चलाया करता था। करीब 40-50 मिनट साइकिल चलाना हर दिन। अब मैं गूगल फिट एप्प पर कम से कम 3000 कदम चलने और कुल हार्ट प्वॉइण्ट के 60 का टार्गेट रखे हूं। यह टार्गेट रोज पार हो रहा है। करीब 3500-4500 कदम रोज पैदल चलने और एक घण्टा साइकिल चलाने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। पहले चलना दुरुह होता था, अब एक साथ दस पंद्रह मिनट की ब्रिस्क वाकिंग ( >100 कदम/मिनट) करना कठिन नहीं महसूस होता। अब इसमें पीयूष जी का तेल कारगर है या बेहतर मौसम – कहना कठिन है। शायद उसमें मेरी स्वास्थ्य को लेकर बढ़ी जागरूकता और सौ साल फिट-फाट जीने की चाह भी एक घटक हो!

पर जो हो, पीयूष जी के तेल कि उपलब्धता ने एक माहौल तो बनाया ही है कि जोड़ों के दर्द के लिये कुछ न कुछ तो किया जा सकता है।
पीयूष वर्माजी भोपाल के हैं। मेरे ब्लॉगर सुहृद रवि रतलामी जी शायद उनके पड़ोसी हैं। रवि जी की पत्नी गठिया के कारण घुटनों की जकड़न से परेशान थीं। बकौल रवि रतलामी (रवि श्रीवास्तव) उन्हें पीयूष जी के तेल से बहुत लाभ हुआ। तभी रवि जी ने मुझे पीयूष वर्मा जी से मिलवाया।
पीयूष जी के दांतों और जोड़ों के तेल के लाभ के बारे में मैं जितना अश्वस्त हूं, उतना मैंने ऊपर लिखा है। सही फीडबैक तो शायद सतत तीन चार महीने प्रयोग से ही दिया जा सकेगा। पर फिलहाल यह माहौल तो मेरे साथ बना ही है कि पैदल चल रहा हूं। खूब साइकिल चला रहा हूं और अपने घर के बगीचे के कड़े अमरूद खाने में बगीचे के अनामंत्रित अतिथि – तोतों के झुण्ड – से स्पर्द्धा कर ले रहा हूं। 😆
मैंने भी पीयूष जी का तेल इस्तेमाल किया जो उन्होंने एंटी एजिंग के लिए विकसित किया .दो तीन माह के इस्तमाल के बाद मुझे और मेरे दोस्तों को मेरे चेहरे की फाइन लाइन्स में बहुत अंतर नज़र आया .मैं फरवरी से लगातार इस्तमाल कर रही और अपने जानने वालों को भी इसके फायदे से अवगत करा रही .पीयूष जी को बहुत बहुत धन्यवाद् की जो मैं हज़ारों खर्च करके नहीं पा पाई वो इसके औसधि ने कर दिखाया .सब्र रखे तो परिणाम मन माफिक और पर्मनंट मिलता है .पीयूष जी का फिर से धन्यवाद् .
LikeLiked by 1 person
अच्छा जी! मुझे नहीं मालूम था कि पीयूष जी हेल्थ के साथ साथ व्यक्ति के appearance को भी प्रभावित करने वाली औषध पर भी काम करते हैं. आपने एक और पक्ष के बारे में बताया, धन्यवाद.
LikeLike
बहुत बहुत धन्यवाद रूबी जी।
LikeLike
मैंने भी आर्डर कर दिया सर
LikeLiked by 1 person
शुभकामनाएं शिवेंद्र जी 🙏🏼
LikeLike
दोनों औषधियों के नाम, मूल्य एवं प्राप्ति स्थान जन कल्याणार्थ उपलब्ध करदें तो अच्छा रहेगा। अनुभूत होने के कारण शंका नहीं रहेगी।
LikeLiked by 1 person
पीयूष जी ने बताया है कि औषधियों के लिए, उनसे उनके मोबाइल नंबर 9425019328 पर संपर्क किया जा सकता है।
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद. आपने पीयूष जी का सीधे फोन नंबर देकर मेरा कार्य कर दिया है. के डी शर्मा जी कृपया पीयूष जी से संपर्क कर जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं.
LikeLike
आभार।
LikeLiked by 1 person
महोदय, आपके विस्तृत फ़ीडबैक के लिए अनेकों साधुवाद। मैं न तो बिज़नेसमैन हूँ और न ही मुझे व्यापार की समझ है पर एक नितांत सीखने की ललक रखने वाला विशुद्ध विद्यार्थी ज़रूर हूँ। औषधीय वनस्पतियों को जानने की ललक बचपन से थी, बाबूजी कृषि वैज्ञानिक रहे तो मेरा खोज का शौक़ बना रहा।मैं राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रोफ़ेसर रहने के दौरान भी वेलनेस, तनाव प्रबंधन, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य प्रबंधन संबंधी शोध व प्रशिक्षण करते हुए लंबे समय जुड़ा रहा। जोड़ों के दर्द के तेल का फ़ार्मूला आदरणीय बाबूजी से प्राप्त हुआ था जिसे शनैः शनैः शोध द्वारा परिपक्व किया गया। आदरणीय रवि जी ने जब प्रोफ़ेसर रेखा जी की समस्या की चर्चा की तब उन्हीं के सुझाव पर यह तेल पहली बार घर के बाहर इस्तेमाल हुआ। इसके परिणाम बहुत सकारात्मक मिले। धीरे धीरे लोग जुड़ते गये और सकारात्मक परिणामों से मुझे भी प्रेरणा मिली की कि सेवा भाव से अपने शोधों से और प्रोडक्ट तैयार करें। आपके सुझावों और फ़ीडबैक का इंतज़ार रहेगा।
LikeLiked by 1 person
आपकी टिप्पणी के लिए आपको बहुत धन्यवाद पीयूष जी 🙏🏼
आपके व्यक्तित्व से मैं बहुत प्रभावित हूं और आशा है कि आपसे स्थायी संपर्क रहेगा!
आपने पोस्ट को उचित पाया, उसके लिए पुनः धन्यवाद।
LikeLike
आपके घुटनों की समस्या गाहे बगाहे आपकी पोस्टों में झलकने लगी थीं तो मैंने अवांछित किस्म की सिफारिश की थी कि शायद कुछ लाभ आपको भी हो और समस्या से पूरी मुक्ति भले न मिले कुछ राहत तो मिले।
उत्तरोत्तर उत्तम स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएँ।
LikeLiked by 1 person
जी, जैसा मैंने पोस्ट में लिखा है, औषधि के स्वास्थ्य पर सुप्रभाव तो दिख रहे हैं.
आपको धन्यवाद 🙏🏼
LikeLike
रवि जी से मेरा परिचय कुछ वर्षों का ही है। पर अब यूँ लगता है जैसे हम कई दशकों से एक दूसरे को जानते हैं। उनका स्वाभाव अत्यंत विनम्र और सहज है। ये सब मैं उनकी प्रशंशा के लिए नहीं कह रहा हूँ बल्कि उनके यही गुण मेरे लिए इस तेल के शोध में प्रेरणा बने। हमारे परिवार में यह तेल बाबूजी बनाया करते थे, हम सबकी मालिश होती थी। उनको इसका फार्मूला किसी वैद्यजी ने दिया था। मैंने अपने सेवा निवृति के बाद आर्गेनिक फार्मिंग को अपना शौक बनाया। एक बार हमारे फार्म पर हम और रवि जी का परिवार गए थे और वहीं किसी चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि श्रीमती जी को पैर में भरी तकलीफ़ रहती है। मैंने ये तेल उन्हें दिया और कुछ दिन बस बिना बात के निकल गए। ना मैंने उनसे फ़ीडबैक माँगा और न इस विषय पर की चर्चा हुई। एक दिन उन्होंने कहा कि मसाज़ का तेल उन्हें अपने किसी रिश्तेदार को भेजना है। तब उन्होंने बताया की आपका मसाज़ का तेल तो बड़ा चमत्कारिक है, ये यानि उनकी पत्नी को न केवल उस दर्द से मुक्ति मिली जो उन्हें २५ वर्षों से था वरन उनके चलने फिरने में भी कोई तकलीफ़ नहीं होती। रवि जी के इन शब्दों ने मुझे भी चमत्कारिक प्रेरणा दी। शोध का कीड़ा पहले ही दिमाग में था , मसाज ऑइल को इम्प्रूव करने के लिए जड़ी बूटियों का प्रयोग किया और आज का तेल 28 जड़ी बूटियों से मिलकर बनता है। मैं रवि जी का ह्रदय से साधुवाद करता हूँ कि उनकी प्रेरणा से बढ़ी ये यात्रा आज इस मसाज के तेल को सौ से ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकी है।
LikeLiked by 1 person