व्यास नदी भी है और उसके खाड भी। खाड या खड्ड कुछ इस तरह हैं मानो नदी – व्यास या सतलुज स्त्री की मांग हों और खाड उससे निकली केशराशि या जटायें। जगह जगह बोर्ड लगे हैं कि खाड के पानी को पार करने का जोखिम न उठायें।
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चिंतपूर्णी – माँ छिन्नमस्ता देवी
“भईया मन डिस्टर्ब हो गया। एक बार फिर मंदिर में गया। बोला – माँ मोबाइल चाहिये था, तो वैसे ही आदेश करतीं। मैं दे ही देता। पर यह तरीका तो ठीक नहीं लगा। भईया पण्डा लोग मेरा यह कहने पर हंस रहे थे। पर मेरे मन में जो था, मैं वही कह रहा था…”
गगरेट – पंजाब से हिमांचल
पंजाब की सीमा और हिमांचल का स्वागत बोर्ड दिखता है। उसके साथ ही घुमावदार रास्ते बढ़ने लगते हैं। चीड़ के वृक्ष हैं, जिन्हें मैं पहचानता हूं।
मुझे फिर एक मौका मिले तो उस घर में रहना चाहूंगा जिसमें चीड़ हो।
