चिंतपूर्णी – माँ छिन्नमस्ता देवी

23-24 मई 2023

अजीब लगता है मां छिन्नमस्ता की कल्पना करना – देवी ने शुम्भ-निशुम्भ असुरों का संघार सम्पन्न किया है। उनके साथ दो योगिनियां हैं (जया, विजया या डाकिनी और वारिणी) जिन्होने उनके साथ मारकाट की है। अब कार्य सम्पन्न होने पर भी उनकी क्षुधा शांत नहीं हुई है। वे और और भोजन, और रक्त की मांग करती हैं। और माता अपना मस्तक काट कर उनको अपने रक्त से शांत करती हैं। उनके शिर विहीन धड़ के हाथ में उनका छिन्न सिर है। कटे गले से तीन रक्त धारायें निकल रही हैं। दो उन योगिनियों के मुंह में जाती है और एक स्वयम उनके छिन्न मस्तक में।

कोलकाता के एक कालीपूजा मण्डप में छिन्नमस्ता। CC BY-SA 3.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=5085646 द्वारा।

ऊना जिले का चिंतपूर्णी शक्तिपीठ माँ छिन्नमस्ता का मंदिर है। झारखण्ड में राजरप्पा में भी जो मंदिर है वह माँ छिन्नमस्ता का है।

माता का यह घोर रूप मेरी समझ नहीं आता। चिंतपूर्णी का अर्थ है – सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाली। यह स्थान माना जाता है कि वह है जहां सती के पैर का हिस्सा गिरा था।

छिन्नमस्तिका (या प्रचण्ड चण्डिका) दश महाविद्याओं में से एक है। दश महाविद्यायें हैंं – काली, तारा, शोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला।

दश महाविद्यायें हैंं – काली, तारा, शोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला। By The Calcutta Art Studio – https://www.britishmuseum.org/collection/object/A_2003-1022-0-37, Public Domain, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=9856479

माँ छिन्नमस्ता मृत्यु और सृजन दोनो की प्रतीक हैं। इस विषय में ज्यादा तार्किक ढंग से तो दश महाविद्या के विद्वान ही बता सकते हैं। मेरे लिये तो मातृशक्ति का संहारक रूप महाकाली और सृजक महासरस्वती के रूप में ही है।

23 मई की दोपहर माँ छिन्नमस्ता के शक्तिपीठ में दोपहर में प्रेमसागर ने दर्शन किये। वहां उन्होने कुछ चित्र भी लिये। मुझे चित्र भेजने के बाद मंदिर के परिसर में ही किसी ने उनका बैग ब्लेड से काट कर वह मोबाइल चुरा लिया।

चिंतपूर्णी माँ मंदिर परिसर में प्रेमसागर

“भईया मन डिस्टर्ब हो गया। एक बार फिर मंदिर में गया। बोला – माँ मोबाइल चाहिये था, तो वैसे ही आदेश करतीं। मैं दे ही देता। पर यह तरीका तो ठीक नहीं लगा। भईया पण्डा लोग मेरा यह कहने पर हंस रहे थे। पर मेरे मन में जो था, मैं वही कह रहा था…” प्रेमसागर के यह बताते समय मुझे लग रहा था कि उनकी आस्था को कहीं न कहीं ठेस लगी है।

23 मई की दोपहर माँ छिन्नमस्ता के शक्तिपीठ में दोपहर में प्रेमसागर ने दर्शन किये। वहां उन्होने कुछ चित्र भी लिये। मुझे चित्र भेजने के बाद मंदिर के परिसर में ही किसी ने उनका बैग ब्लेड से काट कर वह मोबाइल चुरा लिया।

रात में प्रेमसागर ठीक से सो नहीं पाये। उनकी तबियत वैसे भी ठीक नहीं थी। हल्की हरारत है। आज (24 मई को) सवेरे उन्हें ज्वालाजी के लिये निकलना था। पर निकलना नहीं हुआ। “किराया बहुत है लॉज का भईया। पांच सौ और भोजन अलग से। पर और कोई उपाय नहीं है।”

गगरेट से चिंतपूर्णी का रास्ता बढ़िया था। पहाड़ी और घुमावदार। दृश्य मोहक थे और तापक्रम भी ज्यादा नहीं था। प्रेमसागर का गला खराब था और शरीर में ऊर्जा भी कम थी। फिर भी आसानी से उन्होने 22 किमी का चलना सम्पन्न किया। उसके बाद लॉज/धर्मशाला आने जाने में भी चले होंगे। कुल करीब 25 किमी।

सब अच्छा रहा, बस मंदिर परिसर में, जहां आस्था का सैलाब होना चाहिये वहां कोई जेबकतरा अपनी कारस्तानी कर गया। वह भी मोबाइल की। मोबाइल, जिसके माध्यम से ब्लॉग – सम्पर्क सम्भव होता है!

आगे देखें बिना उस मोबाइल के, दूसरे मोबाइल से जिसके चित्र धुंधले आते हैं, कैसे ब्लॉग-सम्प्रेषण हो पाता है।

हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:!

प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
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प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 83
कुल किलोमीटर – 2760
मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। सरिस्का के किनारे।
शक्तिपीठ पदयात्रा
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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

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