अपने ही देश में, शाक्त श्रद्धा के बंग प्रांत में लाल रंग के वस्त्र पहने पदयात्री जोखिम महसूस करे; दुखद है! पर राजनीति धर्म पर भारी है! प्रेमसागर ने नलहाटी जा पदयात्रा करने की बजाय सुल्तानगंज आ कर वहां से यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया।
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रूपनारायण नदी का पाट
आज पैंतालीस किलोमीटर पैदल चले प्रेमसागर। रास्ते में एक जनरल स्टोर वाले लोगों ने उन्हें रोक कर पानी – मीठा खिलाया-पिलाया। हालचाल पूछा।
दुकान वाले सज्जन रांची के हैं। प्रेमसागर जमशेदपुर से। अच्छी सिनर्जी बन जाती है!
रत्नावली शक्तिपीठ
यहां एक नहीं, दो रत्नावली शक्तिपीठ मंदिर मिले प्रेमसागर को। एक पुराना और एक नया। एक ही देवी के दो मंदिर और दो विग्रह। बंगाल में बहुत खींचतान है माता के ऊपर अपना कब्जा करने की।
