रूपनारायण नदी का पाट

2 अप्रेल 2023

मैंने जब वीडियो कांफ्रेंस में एक लकीर खींच कर नदी दिखाई थी तो उसका नाम सुन कर रमाशंकर जी बोले थे – कोई लोकल नदी होगी। और यह सामने ऑफ सीजन में तीन किलोमीटर पाट वाली विशाल जल राशि वाली नदी थी रूपनारायण। “तीन किलोमीटर से ज्यादा ही मोटी रही होगी भईया।”

उसे पार जाने के लिये फेरी का इंतजार करना पड़ा। उसके बाद धीरे धीरे चलती डीजल इंजन वाली उस नाव ने भी बहुत समय लिया। पर फेरी की यात्रा यादगार थी। फेरी पूरब से पश्चिम की ओर चल रही थी और सामने था सांझ का सूरज। पश्चिमी किनारे पर पानी उत्तरोत्तर उथला होता गया। एक किलोमीटर अंदर ही फेरी रुक गयी। लोकल लोग जो जानते थे, अपनी लुंगी या धोती/साड़ी कछाड़ मार कर ऊपर कर फेरी से उतरे। घुटनो से ऊपर तक के पानी में आधा किलोमीटर पार किये। उसके बाद आधा किलोमीटर दलदल थी। “दलदल ऐसी भईया कि आदमी चल सकता था। फंस कर रह नहीं जा रहा था। धीरे धीरे लोग उसे भी पार कर किनारे पर बैठ सुस्ताये। उसके बाद अपने अपने ठौर को निकल लिये।”

यह सामने ऑफ सीजन में तीन किलोमीटर पाट वाली विशाल जल राशि वाली नदी थी रूपनारायण।

बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले की नदी थी रूपनारायण। थोड़ी दूर आगे जा कर भागीरथी-हुगली में मिल जाती है। उसके आगे थोड़ी दूर बाद समुद्र में विलीन हो जाती है जल राशि। पर पाट और पानी इस सहायक नदी में शायद हुगली से ज्यादा ही हो।

पदयात्रा में शहरी बंगाली तो कैसे तो कैसे प्रेमसागर की हिंदी समझ लेता है। जमशेदपुर में रहने के कारण एक दो बंगला शब्द भी वाक्य में घुसेड़ कर काम निकाल लेते हैं वे। पर शुद्ध देहात के बंगाली से सम्प्रेषण बहुत ही कठिन पा रहे हैं प्रेमसागर। और जब सम्प्रेषण सही से नहीं होता तो सहायता भी उतनी नहीं मिलती। “तब भी भईया यहां उतना कठिन नहीं है जितना दक्षिण के राज्यों में था।” – प्रेमसागर भाषा की इस समस्या को यात्रा का अपरिहार्य हिस्सा मान कर चलते हैं। जब तक लोग सीधे सीधे विद्वेष न जतायें, तब तक कोई तकलीफ नहीं है उन्हे।

प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi

आज पैंतालीस किलोमीटर पैदल चले प्रेमसागर। रास्ते में एक जनरल स्टोर वाले लोगों ने उन्हें रोक कर पानी – मीठा खिलाया-पिलाया। हालचाल पूछा। अपना परिचय देने में प्रेमसागर जता देते हैं कि वे ऐसे वैसे पदयात्री नहीं हैं – “आप गूगल पर शक्तिपीठ पदयात्री सर्च करें तो आपको मेरे बारे में जनकारी मिल जायेगी।”

वे लोग सर्च करते हैं। और सर्च उन्हें मेरे ब्लॉग पर ले जाती है। सर्च में पांच छ हजार रिजल्ट प्रेमसागर की ओर डायरेक्ट करते हुये और साथ में प्रेमसागर की पदयात्रा की तस्वीरें। शक्तिपीठ पदयात्रा वाले पेज पर ढेरों पोस्टों के लिंक हैं और वे लोग उन्हें क्लिक कर देखने लगे। … सही मायने में हाई-टेक बाबा बन रहे हैं प्रेमसागर और अपने परिचय के लिये ब्लॉग में उपस्थिति की बदौलत फ्रण्ट-फुट पर रहते हैं!

दुकान वाले सज्जन रांची के हैं। प्रेमसागर जमशेदपुर में लम्बे अर्से से काम कर चुके हैं। अच्छी सिनर्जी बन जाती है।

दुकान वाले सज्जन रांची के हैं। प्रेमसागर जमशेदपुर में लम्बे अर्से से काम कर चुके हैं। अच्छी सिनर्जी बन जाती है दोनो के बीच। बंगाल में झारखण्ड का मेल! “चलते समय एक बोतल पानी का भी दिये भईया। बोले, गरमी बहुत है। रास्ते में पानी पीते जाईयेगा।” – प्रेमसागर ने बताया।

मोटरबोट वाली फेरी से उतर कर विभाषा और कपालिनी शक्तिपीठों के बारे में पता किया प्रेमसागर ने। शाम होने को है। जल्दी के लिये एक ऑटो में बैठ वे तामुलुक स्टेशन के पास के विभाष देवी का मंदिर है गूगल नक्शे में। फेरी घाट के समीप है कपालिनी, भीमरूपा/बर्गाभीमा मंदिर। ये दोनो शक्तिपीठ के नाम से जाने जाते हैं। दोनो के दर्शन करने थे। तामुलुक स्टेशन के पास वाले मंदिर के दर्शन किये। उसके बाद पता चला कि कपालिनी माता का मंदिर तो बंद हो चुका है। तामुलुक से प्रेमसागर लौट आये दक्षिणेश्वर।

3 अप्रेल 2023

आज प्रेमसागर फिर तामुलुक गये। वहां कपालिनी शक्तिपीठ का दर्शन कर लौटे। पदयात्रा एक दिन पहले कर चुके थे तो आज बस से आना जाना हुआ। दोपहर में वापस वे दक्षिणेश्वर पंहुच गये।

“भईया, रमाशंकर पाण्डेय जी कह रहे हैं कि एक दिन रुक कर उत्तर के लिये रवाना होना ठीक रहेगा। कल एक दिन आराम कर निकलूंगा कामाख्या के लिये। नलहाटी से ही यात्रा शुरू करूंगा।”

विभाषा और कपालिनी देवी के विग्रह।

रमाशंकर जी, उनकी धर्मपत्नी और बेटे-बहुओं ने बहुत स्नेह सम्मान दिया है प्रेमसागर को। मेरे लिये भले ही प्रेमसागर “घर की मुर्गी दाल बराबर” हैं, पर रमाशंकर जी का परिवार उन्हें एक लम्बे दूर तक पदयात्रा करने वाले के रूप में विलक्षण मान कर आदर दे रहा है और प्रेमसागर का भी मन उस स्नेह में जितना समय बीत सके, बिताना चाह रहे हैं। कल वे कलकत्ता में उनके घर पर ही रहेंगे।

रमाशंकर पाण्डेय जी की दुकान का चित्र। बांये से चौथे कुर्सी पर बैठे हैं पाण्डेय जी।

इस समय बंगाल और बिहार में साम्प्रदायिक दंगे हो रहे हैं। राम नवमी को हुगली के कई इलाकों में हिंसा-आगजनी हुई है। हनुमान जयंती को भी दंगा होगा, ऐसी आशंका है। प्रेमसागर को नलहाटी से उत्तर के उन इलाकों से गुजरना है जो मुस्लिम आबादी वाले हैं। मुझे थोड़ी असहजता है उनके अकेले यात्रा करने पर। पर प्रेमसागर कहते हैं – “भईया हमको तो न्यूट्रल रहना है। सिर झुका कर अपनी यात्रा करनी है। किसी के पक्ष या विरोध में कोई वाद विवाद करना ही नहीं है। हम को क्या भय?”

रमाशंकर जी सही सलाह देते हैं – आगे यात्रा में प्रेमसागर को हाईवे के रास्ते ही चलना चाहिये। पैदल रास्ते और शॉर्टकट के फेर में नहीं पड़ना चाहिये। बांगलादेश सीमा के बगल से ही जाती है हाईवे। वह सुरक्षित है। सड़क किनारे ढाबों में रुकने की भी ठीक व्यवस्था होती है। पांच दस किलोमीटर ज्यादा भी चलना पड़े, तब भी हाईवे छोड़ने की नहीं सोचनी चाहिये।

मातृशक्ति और महादेव के सहारे, उनकी आस्था के साथ प्रेमसागर आगे बढ़ रहे हैं। उस आस्था को पूरी तरह मैं समझ नहीं पाता।

हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:।

प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
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प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 83
कुल किलोमीटर – 2760
मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। सरिस्का के किनारे।
शक्तिपीठ पदयात्रा

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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

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