आज सवेरे शिवकुटी घाट पर गंगा जी का रह चह लेने मैं सपत्नीक पंहुचा। नदी आज और बढ़ आयी थी। सन २००२ के स्तर के कहीं ज्यादा पार। कल सवेरे की अपेक्षा लगभग डेढ़ हाथ और ऊपर हो गया था गंगाजी का जल। शिवकुटी की कई गलियों में पानी भरने लगा था। मेरे अन्दाज सेContinue reading “बाभन (आधुनिक ऋषि) और मल्लाह का क्लासिक संवाद”
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गंगा जी में सतत जलस्तर वृद्धि – 3 इंच प्रति घण्टा
आज सवेरे गंगा किनारे सवेरा देखा था। कल शाम को देखे स्तर से बढ़ी थीं। करीब दो सीढ़ियां शिवकुटी घाट की। फिर भी लहरें तेज नहीं थीं। इत्मीनान से बढ़ रही थीं गंगा माई। जहां घर जलमग्न हुये होंगे, वहां भले ही भय हो; घाट पर तो नित्य की तरह लोग नहान-पूजा कर रहे थे।Continue reading “गंगा जी में सतत जलस्तर वृद्धि – 3 इंच प्रति घण्टा”
इत्ता बड़ा था सांप, मदारी पकड़ कर ले गया!
नदी (गंगाजी) फिर बाढ़ पर हैं। 1-2 अगस्त को जितना बढ़ी थीं उससे अभी डेढ़-दो फिट कम हैं पर यह पिछले एक दशक में इसी साल ही हुआ है कि इतना बढ़ी हों और शिवकुटी घाट की सीढ़ियाँ डूबी हों। आज पन्द्रह अगस्त की शाम के समय वहां गया तो घाट पर तीस चालीस लोगContinue reading “इत्ता बड़ा था सांप, मदारी पकड़ कर ले गया!”
