अपने ही देश में, शाक्त श्रद्धा के बंग प्रांत में लाल रंग के वस्त्र पहने पदयात्री जोखिम महसूस करे; दुखद है! पर राजनीति धर्म पर भारी है! प्रेमसागर ने नलहाटी जा पदयात्रा करने की बजाय सुल्तानगंज आ कर वहां से यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
अपने ही देश में, शाक्त श्रद्धा के बंग प्रांत में लाल रंग के वस्त्र पहने पदयात्री जोखिम महसूस करे; दुखद है! पर राजनीति धर्म पर भारी है! प्रेमसागर ने नलहाटी जा पदयात्रा करने की बजाय सुल्तानगंज आ कर वहां से यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया।