ब्लॉग:- प्रेमसागर – बोडेली से डभोई
जब वे बोडेली से डभोई के लिये निकले तो सड़क पर करीब पचास लोग उन्हें विदा करने के लिये जमा थे। कोई उन्हें फूल माला पहना कर विदा कर रहे थे और किसी ने तो उनकी आरती भी की।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
ब्लॉग:- प्रेमसागर – बोडेली से डभोई
जब वे बोडेली से डभोई के लिये निकले तो सड़क पर करीब पचास लोग उन्हें विदा करने के लिये जमा थे। कोई उन्हें फूल माला पहना कर विदा कर रहे थे और किसी ने तो उनकी आरती भी की।