दुमका के पहले नंगे पैर चलते प्रेमसागर के पांव में खजूर का कांटा गड़ गया। खुद निकाल नहीं पाये तो रास्ते में एक स्वास्थ्य केंद्र पर डाक्टर साहब से निकलवाया। वहां की पर्ची के चित्र में जगह का नाम लिखा है – सामुदायिक स्वास्थ केंद्र, जामा।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
दुमका के पहले नंगे पैर चलते प्रेमसागर के पांव में खजूर का कांटा गड़ गया। खुद निकाल नहीं पाये तो रास्ते में एक स्वास्थ्य केंद्र पर डाक्टर साहब से निकलवाया। वहां की पर्ची के चित्र में जगह का नाम लिखा है – सामुदायिक स्वास्थ केंद्र, जामा।