सन 2005 में जंगलराज खत्म होने के बाद थोड़ा माहौल बदला। तब जा कर इस पक्षी की मौजूदगी की भनक लगी ! 2006 में मन्दार नेचर क्लब ने इस पर रिपोर्ट भेजी। लोगो को जागरूक और भावुक करने के लिए इसे गरुड़ महाराज का नाम दिया।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
सन 2005 में जंगलराज खत्म होने के बाद थोड़ा माहौल बदला। तब जा कर इस पक्षी की मौजूदगी की भनक लगी ! 2006 में मन्दार नेचर क्लब ने इस पर रिपोर्ट भेजी। लोगो को जागरूक और भावुक करने के लिए इसे गरुड़ महाराज का नाम दिया।