दो शक्तिपीठ – फुल्लारा देवी और कंकालिताला देवी दर्शन


स्थान को “कंकाली” कहा जाता है। कंकाल अर्थात शरीर का अस्थि-ढांचा। […]दिल्ली की मुगलिया सरकार के सेनापति काला पहाड़ (जो धर्म परिवर्तन के पहले राजीबलोचन राय था) ने जगन्नाथ पुरी, कामाख्या और कंकालीताला को क्षतिग्रस्त किया था।