“कल एक बारात देखी भईया। उसके कुछ नहीं तो चार डीजे थे। हर एक के गाने का शोर इतना था कि क्या बज रहा था, कुछ समझ नहीं आ रहा था। इन समारोहों में पैसे का प्रदर्शन ही सम्पन्नता है। शादी में बीस-पचीस लाख प्रदर्शन में ही खर्च होते हैं।”
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सहारनपुर से यमुनानगर
यम की भगिनी यमुना, किसी बड़ी घटना-दुर्घटना के बाद घर्घर नाद कर बहती सरस्वती के जल का एक बड़ा हिस्सा अपने में समाहित करने वाली यमुना तक न जाया जाये। सन 1335 में फीरोजशाह तुगलक ने पश्चिमी यमुना नहर को बनाया था।
कामाख्या से वापसी और डियाक पर विचार
चाय के बागान और उनके मालिकों के नाम पर मन में किसी अंग्रेज साहब या मेम की छवि मन में बनती है।
पर, जो चित्र प्रेमसागर ने जीवन पाल के घर-परिवार के भेजे, उनसे यह मिथक ध्वस्त हो गया।
