घाट पिपल्या से उडीया रहा 20 किलोमीटर और वहां से सोकलपुर 30 किलोमीटर। पचास किलोमीटर के लिये तीन दिन लगाने चाहिये थें प्रेमसागर को, पर वे दो दिन में इसे पूरा कर गये। अशक्त होने और ज्वर से पीड़ित होने का कोई कतरा भी उनकी चाल में दिखाई नहीं देता। सोलह जून की सवेरे वेContinue reading “घाट पिपल्या से उडीया होते सोकलपुर — परतों में पैबस्त पदयात्रा”
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मोतलसिर से घाट पिपल्या तक – जहां हर नदी, हर मछेरा और हर महंत अपनी-अपनी परिक्रमा रचते हैं।
मोतलसिर में एक दिन और रुकने की बजाय सवेरे निकल लिये प्रेमसागर। दिन भर में करीब उन्नीस किलोमीटर चले। शाम घाट पिपल्या के एक नवलधाम आश्रम में डेरा जमाया। सवेरे मोतलसिर के पास नर्मदा घाट पर कुछ समय गुजारा। सूर्योदय के समय मन के विचार भी सिंदूरी थे। नर्मदा मां से पूछ रहे थे प्रेमसागरContinue reading “मोतलसिर से घाट पिपल्या तक – जहां हर नदी, हर मछेरा और हर महंत अपनी-अपनी परिक्रमा रचते हैं।”
सुडानिया से मोतलसिर
जून 13 उनतीसवां दिन। श्रद्धालु मिलते गये, सूरजकुंड की थाह नहीं मिली, और लू ने प्रेमसागर को रोक दिया — फिर भी यात्रा रुकी नहीं कल 13 जून को सुडानिया से चल कर भारकच्छ पंहुचे प्रेमसागर। सवेरे पांच बजे सुडानिया के आश्रम से निकले थे। सवेरे एक सज्जन देवेश पटेल जी ने चाय पिलाई। चलतेContinue reading “सुडानिया से मोतलसिर”
