आज पैंतालीस किलोमीटर पैदल चले प्रेमसागर। रास्ते में एक जनरल स्टोर वाले लोगों ने उन्हें रोक कर पानी – मीठा खिलाया-पिलाया। हालचाल पूछा।
दुकान वाले सज्जन रांची के हैं। प्रेमसागर जमशेदपुर से। अच्छी सिनर्जी बन जाती है!
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
आज पैंतालीस किलोमीटर पैदल चले प्रेमसागर। रास्ते में एक जनरल स्टोर वाले लोगों ने उन्हें रोक कर पानी – मीठा खिलाया-पिलाया। हालचाल पूछा।
दुकान वाले सज्जन रांची के हैं। प्रेमसागर जमशेदपुर से। अच्छी सिनर्जी बन जाती है!