पूर्व-पश्चिम का भेद एक बात। भारत में तो सॉफ्टवेयर/आर्टीफीशियल इण्टेलिजेंस; सवर्ण-वंचित, पुरुष-महिला, गरीब-अमीर, शहरी-ग्रामीण आदि में भेदभाव के घटकों से भारत के समाज को आगे और बांटने वाला बन सकता है (अगर समाज इस विभेद को भांप पाये, तो)।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
पूर्व-पश्चिम का भेद एक बात। भारत में तो सॉफ्टवेयर/आर्टीफीशियल इण्टेलिजेंस; सवर्ण-वंचित, पुरुष-महिला, गरीब-अमीर, शहरी-ग्रामीण आदि में भेदभाव के घटकों से भारत के समाज को आगे और बांटने वाला बन सकता है (अगर समाज इस विभेद को भांप पाये, तो)।