फिर घूमने निकल लिये प्रेमसागर


उनकी यात्रा के निमित्त, भारत के कई स्थानों की मेरी जानकारी और फील शायद हवाई जहाज, ट्रेन या बस से यात्रा करने वाले अनेकानेक लोगों से ज्यादा ही है। प्रेमसागर पांड़े और ज्ञानदत्त पांड़े – इस यात्रा में परिपूरक भूमिका निभा रहे हैं।

विराटनगर से भामोद और लू लगने से अस्वस्थता


लू लगने से बुखार में तपता आदमी 925 किमी की यात्रा करे बस और कार में! मेरे ख्याल से निहायत पागलपन है। पर पूरा भारत भ्रमण बिना संसाधन, महादेव के सहारे, पैदल करने वाला उन्हीं के गण जैसा ही तो होगा!

श्री अम्बिका शक्तिपीठ, विराटनगर


प्रेमसागर ने खुद ही घण्टी बजाई, ध्यान किया और दर्शन कर बाहर निकले। “भईया, मंदिल छोटा ही है। शक्तिपीठ का बोर्ड जरूर लगा है। माता की आंखें बड़ी सुंदर हैं। लगता है कुछ बोल रही हैं।

Design a site like this with WordPress.com
Get started