आज से यात्रा विधिवत प्रारम्भ कर दी है प्रेमसागर ने। मैहर से। अकेले। उनका कहना है कि सही यात्रा तो अकेले ही होती है भईया। अन्यथा लोगों के साथ चलने में मन भटकता है। प्रेमसागर ने एक लाठी ले रखी है। शक्तिपीठ यात्रा के अनुशासन से सिर और दाढ़ी घुटा रखा है। लाल वस्त्र पहने हुये हैं और बगल में एक नया स्लिंग बैग ले रखा है।