नंदिनी माता का शाब्दिक अर्थ है ‘जो आनंद की देवी हैं’। और आज प्रेमसागर जाने अनजाने में आनन्दित ही लगे अपनी बातचीत में मुझे। एक बड़ा सा प्रस्तर खण्ड है, गोल सा, जिसपर सिंदूर पुता है कि सब कुछ लाल नजर आता है। देवी का वही प्रतीक है।
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टोला डुमरी से देवघर
प्रेमसागर ने अपने पास मौजूद चिवड़ा और चीनी उस वृद्ध को दिया। साथ में रोती उसकी पोती को दस रुपये बिस्कुट लेने को दिये। अपने पास से एक प्लास्टिक की बोतल में उसे पानी भी दिया। चिवड़ा-चीनी-पानी का भोजन पा कर वृद्ध ने आशीर्वाद दिया – आगे तुम्हारी यात्रा सकुशल और सफल होगी।
नेवादा – सिकंदरा – टोला डुमरी
गया के आसपास की धरती शापित है। प्रेमसागर यह बार बार कहते हैं। नदियों में पानी नहीं है। पर शाप का असर बहुत धीरे धीरे कम हो रहा है। लोग कहते हैं कि बीस कोस तक शाप था सीता माई का। पर उससे ज्यादा दीखता है।
प्रेमसागर – मैहर दर्शन के साथ शक्तिपीठों की पदयात्रा प्रारम्भ
आज से यात्रा विधिवत प्रारम्भ कर दी है प्रेमसागर ने। मैहर से। अकेले। उनका कहना है कि सही यात्रा तो अकेले ही होती है भईया। अन्यथा लोगों के साथ चलने में मन भटकता है। प्रेमसागर ने एक लाठी ले रखी है। शक्तिपीठ यात्रा के अनुशासन से सिर और दाढ़ी घुटा रखा है। लाल वस्त्र पहने हुये हैं और बगल में एक नया स्लिंग बैग ले रखा है।