भाइयों, जरा चीनी का प्रयोग बढ़ाइये!

ड़ा झमेला है. चीनी के शेयर ऐसे लमलेट हैं कि बैठने का नाम नहीं ले रहे. उठ खड़े होने की कौन कहे. शरद पवार को पहले चिदम्बरम ने बीमार कर दिया जब चीनी एक्सपोर्ट पर बैन लम्बा खिसका दिया. बैन उठा भी तब जब दुनिया में चीनी की बम्पर क्रॉप सामने थी. पेट्रोल के दाम भी बढ़ नहीं रहे हैं कि उसके विकल्प के लिये विलाप तेज हो. एथेनॉल का फण्डा जोर पकड़ ही नही रहा. चीनी कम्पनियां डोलड्रम में हैं. साथ ही हम जैसे भी डोलड्रम में है, जिनके पास चीनी के थोड़े शेयर हैं.

दफ्तर में चाय-पान का मेरा थोड़ा कोटा है. उसमें मैं महीने भर के लिये ईक्वल लो कैलोरी स्वीटनर भी आता है. अब मैं सोचता हूं वजन बढ़ने के भय की ऐसी-तैसी. चीनी का प्रयोग प्रारम्भ किया जाये. कुछ तो फर्क पड़े चीने के शेयरो की कीमत में. पोर्टफोलियो सुधारना वजन कम रखने से ज्यादा जरूरी है.

शरद पवार जी को तो बी.सी.सी.आई. के मामलों से फुर्सत नहीं है. कोच ढ़ूंढना ही मुश्किल काम लग रहा है. एक के बाद एक, जिनको बीसीसीआई ऑफर दे रहा है, वे अपनी अनिच्छा की घोषणा मीडिया में पहले कर रहे हैं, उन्हें बाद में बता रहे हैं. चीनी की कड़वाहट दूर करने के लिये समय ही नहीं निकल पा रहा है शायद? अब आप चिठेरे लोग ही हैल्प करें, साहबान!
जरा चीनी का प्रयोग बढ़ायें! कृपया, एक-दो रसगुल्ले ही गपकने लगें रोज! और कहीं मुफ्त में मिलें तो चार से कम न खायें.

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

11 thoughts on “भाइयों, जरा चीनी का प्रयोग बढ़ाइये!

  1. आप इतना आग्रह कर रहे हैं तो चलिये मैं भी शुरु कर देता हूँ रोज के दो रसगुल्ले, कब शुरु करवा रहे हो रसगुल्ले भेजना। बहुत भूख लग रही है।

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