मेरे मित्र उपेन्द्र कुमार सिंह का बालक पौने चार साल का है। नाम है अंश। सांवला है तो उसे देख मुझे कृष्ण की याद आती है। चपल भी है और बुद्धिमान भी। जो कहता है उसके दार्शनिक अर्थ भी निकाले जा सकते हैं। उपेन्द्र जी का घर रेलवे लाइन के पास है सुबेदारगंज, इलाहाबाद में।Continue reading “पापा, मैं तो घास छीलूंगा!”
