मेरा ब्लॉग लेखन-पठन का विवरण


मेरे ब्लॉग लेखन की पठनीयता के आंकड़े स्टैट काउण्ट के विवरण से स्पष्ट होते हैं। वह लगभग 8 महीने के आंकड़े एक ग्राफ में उपलब्ध करा दे रहा है। आप जरा पेज लोड और विजिटर्स के आकड़ों के ग्राफ का अवलोकन करें:

Stat1‘ज्ञानदत्त पाण्डेय की मानसिक हलचल’ का स्टैट-काउण्टर ग्राफ

उक्त ग्राफ से स्पष्ट है कि मेरी रीडरशिप उत्तरोत्तर बढ़ी है। पर उसमें कोई सेनसेक्स छाप उछाल नहीं है। यह ‘हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ’ का परफार्मेंस काफी थकाऊ है और कभी भी स्टॉल बन्द करने को उकसा सकता है।

स्टैट काउण्टर उक्त आंकड़े तो प्रारम्भ से अब तक के दे देता है, पर बाकी विस्तृत आंकड़े केवल अंतिम 500 क्लिक के देता है। पर 500 क्लिक का विश्लेषण भी आपको पर्याप्त सूचनायें देता है। उदाहरण के लिये उनसे यह पता चला है कि मेरे ब्लॉग यातायात की फीड एग्रेगेटरों पर निर्भरता उत्तरोत्तर कम हुई है। इसलिये जब रवि रतलामी यह कहते हैं – “एक चिट्ठाकार होने के नाते मेरे चिट्ठे किसी संकलक पर रहें या न रहें इससे — मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता… ” तो उनकी वर्तमान स्थिति देखते हुये यह सही ही प्रतीत होता है। मेरी स्थिति वह नहीं है। और काफी समय तक वह होने की सम्भावना भी नहीं है। एक रोचक तथ्य यह निकला है कि जबसे आलोक 9-2-11 ने अपने ब्लॉग को लेकर विवाद उछाला है, चिठ्ठाजगत के माध्यम से मिलने वाला यातायात लगभग 20-25% बढ़ गया है। ब्लॉगवाणी से मिले यातायात में कमी नहीं आयी है (3-4% बढ़ा ही है)! नौ-दो-इग्यारह या जाने क्या मैने कही में अंतत: कौन स्कोर करे; या कहीं संजीवनी खा कर नारद आ जाये; फायदा ब्लॉगर को होना है। विवाद से फीड एग्रेगेटर ही नहीं ब्लॉगरी चर्चा में रहती है और लोग सामान्य से कुछ ज्यादा ही पढ़ते हैं। इस विवाद को साधुवाद!

जहां तक मेरे खुद के पोस्ट पढ़ने का रिकार्ड है – मैं लगभग 85% पठन गूगल रीडर के माध्यम से करता हूं। शेष फीड एग्रेगेटर के माध्यम से पढ़ता हूं। गूगल रीडर के पठन का डाटा पिछले 30 दिन का गूगल रीडर देता है। उसके ‘ट्रेण्ड’ ऑप्शन से पता चलता है कि मैं 114 फीड सब्स्क्राइब करता हूं (इसमें से 90 हिन्दी ब्लॉग्स की हैं)। पिछले 30 दिनों में मैने 1085 पोस्ट पढ़ी हैं। अर्थात लगभग 36 प्रतिदिन। इसमें से लगभग 28 हिन्दी ब्लॉग्स की होंगी। अगर फीड एग्रेगेटर के माध्यम से पढ़ी जाने वाली पोस्टें जोड़ दूं तो लगभग 35 हिन्दी ब्लॉग पोस्ट पढता हूं। यह काम ज्यादातर सवेरे होता है। लोगों के पोस्ट पब्लिश करने का समय भी लगभग वही होता है।

इस विषय में गूगल रीडर के 30 दिन के ग्राफ का अवलोकन करें:

Read1

पिछले 30 दिन में 1085 लेख पढ़े गये। 36 लेख प्रतिदिन औसत।
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सामान्यत: पढने का समय सवेरे का है।
दिन में पढ़ना समय चुरा कर होता है।

मेरा ध्येय उक्त ग्राफों की प्रस्तुति में आत्म प्रदर्शन नहीं, वरन यह बताना है कि अगर आप ब्लॉगिंग को गम्भीरता से लेते हैं तो उनके आंकड़े सतत देखते विश्लेषित करते रहें। वह आप को महत्वपूर्ण आत्म-परिज्ञान (insight) का आधार प्रदान करते हैं।

लगभग यही बात किसी भी आंकड़े के विषय में होती है – बशर्ते वह आंकड़ा किसी अर्थपूर्ण विषय का हो।


समीर लाल जी को धन्यवाद वैज्ञानिक टिप्पणी-विधा के विवरण के लिये। वास्तव में पठन का सही तरीका बताया है उन्होने। समय प्रबन्धन पर भी नायाब पोस्ट है वह!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

18 thoughts on “मेरा ब्लॉग लेखन-पठन का विवरण

  1. हम ये सब बारीकियां अभी तक नहीं समझ पाए, समझना भी नहीं चाहते। बस, आपके धाम आकर जो कुछ तकनीकी ज्ञानवर्धन मजाहिया अंदाज में हो जाता है उतना काफी है। हम भी सुबह ही पोस्ट पब्लिश करते है। पर पढ़ने का वक्त जरा भी नहीं है। आपके 30 ब्लाग प्रतिदिन की तुलना में अपन बमुश्किल दस बारह ब्लाग ही देख पाते हैं। जैजै

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  2. ज्ञानद्त्त जी आप ने मेरे मन की बात लिखी है, ऐसा विश्लेण मै भी अपने ब्लोग का करना चाह रही थी, पर समझ नही पा रही कैसे, आप के लेख से ये तो समझ आ गया कि ऐसा विश्लेण (analysis)करना संभव है पर अभी भी हम पूरी तरह समझ नही पाए कि कैसे किया आपने ये सब, हम आप के दिय गूगल रीडर लिंक पर बहुत देर तक घूम आये, ट्रेंड्स पर भी गये पर आगे समझ नही पाए कि आप जैसे ग्राफ़्स कैसे देखे। क्या एक बार और विस्तार से बताने का कष्ट करेंगे हम जैसे टेकनलोजी चैंलेजड लोगों के लिए…।बहुत बहुत आभार

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  3. बढिया है। सबेरे पढ़े रात को टिपिया रहे हैं। समझ सकते हैं कि पचा ली है। अच्छा लगा चित्र का प्रयोग और तमाम वह सब जो लोगों ने बताया। सही -गलत। :)

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  4. इस तरह का आत्मनिरीक्षण जरूरी है ताकि हम आत्ममुग्धता का शिकार न हो जाएं। वैसे भी निष्काम भाव से कर्म का मसकद भी असल में कुछ बड़ा हासिल करना होता है।इस ज्ञानवान पोस्ट के लिए शुक्रिया। सुबह देर से उठने के कारण पढ़ नहीं पाया था।

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  5. बधाई च शुभकामनाएं, सेनसेक्स की तरह उछलना डेंजर होता है। धीमे ही बढना चाहिए, वरना सेंसेक्स की तरह गिर भी जाते हैं। लगे रहिये। श्रेष्ठ लेखन स्वांत सुखाय ही होता है, औरों को उसमें सुख मिल जाये,यह अलग बात है। और फिर आपकी दुकान तो मल्टी काऊंटरवाली है। कंपट,टाफी, से लेकर फूल माला तक सब है। काहे ना चलेगी। दुकान तो उनकी खतरे में आ जाती है, जो एकै ही टाइप का बेचते हैं। जैसे हमरी। हम तो यही सोच कर परेशान रहते हैं कि हाय जिस दिन सबकुछ सही हो गया, कोई नेता,कोई क्रिकेटर, कोई अभिनेता, चिरकुटई न करेगा, तो हम क्या करेंगे। क्या लिखेंगे जी।

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  6. आत्म मंथन और विश्लेषण तो ज़रुरी है जी!!चाहे ब्लॉग्स पठन पाठन के संदर्भ मे हो या अन्य किसी!!

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  7. बालकिशन जी> किंतु google reader और chitthajagat को कैसे उपयोग किया जाय इसके बारे मे कुछ बताएं तो कृपा होगी. ——————————-क्षमा करें भाई, मैने लिंक नहीं दिये थे गूगल रीडर और चिठ्ठाजगत के। वे दे दिये हैं। आप उनपर जा कर देखें – सब सरल सा लगेगा। गूगल रीडर के लिये आपके पास गूगल आई डी है – उसका प्रयोग करें। समस्या हो तो बताइयेगा।

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