जब से शिवकुमार मिश्र की सेतुसमुद्रम पर चिठ्ठी वाली पोस्ट चमकी है, तबसे हमें अपनी दुकानदारी पर खतरा लगने लगा है. उस पोस्ट पर आलोक पुराणिक ने टिप्पणी कर कह ही दिया है कि व्यंगकारों की ***टोली में जन संख्या बढ़ रही है और शिवकुमार को हमारे कुसंग से प्रभावित नहीं होना चाहिये. शिवकुमार मिश्रContinue reading “व्यंगकारोँ की टोली की बढ़ती जनसंख्या का खतरा :-)”
Monthly Archives: Oct 2007
बरखा बिगत सरद रितु आई
मित्रों; वह समय आ गया जिसका ६ महीने से इन्तजार था. गरमी की घमौरियां और फिर वर्षा ऋतु की चिपचिपाहट गयी. अब मौसम आ गया है सवेरे की सैर, विभिन्न प्रकार की सब्जियां-फल-पकवान सेवन का. लोई-कम्बल-रजाई में उत्तरोत्तर प्रोमोट होने का. मस्त पाचन क्षमता का प्रयोग करते हुये भी शारीरिक वजन कम करने के लक्ष्यContinue reading “बरखा बिगत सरद रितु आई”
इण्डियन कॉफी हाउस – बीते जमाने की वर्तमान कड़ी
कई दिन से मुझे लगा कि सिविल लाइंस में कॉफी हाउस देखा जाये. मेरे साथी श्री उपेन्द्र कुमार सिंह ने इलाहाबाद में दोसा रिसर्च कर पाया था कि सबसे कॉस्ट-इफेक्टिव दोसा कॉफी हाऊस में ही मिलता है. अफसरी में पहला विकल्प यह नजर आता है कि “चपरासी पैक करा कर ले आयेगा क्या?” फिर यहContinue reading “इण्डियन कॉफी हाउस – बीते जमाने की वर्तमान कड़ी”
