मित्रों, आप तो मेरा पर्सोना ही बदल दे रहे हैं!


Bouquet किसी भी जन्म दिन पर नहीं हुआ कि मुझे इतने एकोलेड्स (accolades – प्रशस्तियाँ?) मिले हों। सुकुल ने तो इतना कहा कि जितना मेरे किसी जगह के फेयरवेल में भी नहीं कहा गया। सभी कुछ सुपरलेटिव! उसके बाद तो आप सब ने इतना चढ़ाया कि मुझे अपने पर्सोना (persona – व्यक्ति का सामाजिक पक्ष) में परिवर्तन प्रत्यक्ष दिखाई देने लगा। संजीत ने किसी पोस्ट पर कमेण्ट में ऐसा कहा भी था – पर मैने उस समय खास नोटिस नहीं किया। अब लगता है कि हिन्दी ब्लॉगरी ने मेरे व्यक्तित्व में स्पष्ट देखे जाने योग्य परिवर्तन किये हैं।

अनूप की ब्लॉग पोस्ट और टिप्पणी के बाद अपने आप के प्रति जो भी भाव था, वह मन में केन्द्रित न रह कर चारों ओर फैल गया।  पहले मैं जन्मदिन जैसे विषय को पश्चिमी सोच की स्नॉबरी मानता था। उसी जिद के चलते कई बार यह दिन आया और चला गया – बिना किसी से कोई जिक्र के। पर इस बार तो जैसे मन में था कि भाई कोई नोटिस तो करे! और नोटिस जो किया सो जबरदस्त था। इतना उछाला गया मैं कि दिन भर सम्पट ही नहीं बैठ रहा था – कितना खुशी जाहिर की जाये और कितना "बस ठीक है" वाले भाव से दबा दी जाये! Gyandutt

मेरी कल की पोस्ट पर और सुकुल की पोस्ट पर जो टिप्पणियाँ आयीं, उससे मन अभिभूत हो गया है। समझ में नहीं आ रहा कि अपने में सिमटा एक धुर-इण्ट्रोवर्ट व्यक्ति कैसे इतने लोगों का स्नेह पा सकता है? शीशे में देखने पर कोई खास बात नजर नहीं आती।

टिप्पणियाँ ही नहीं, फोन भी आये – प्रियंकरजी, संजीत, बालकिशन और नीरज गोस्वामी जी के। सब स्नेह से सेचुरेटेड – संतृप्त। आलोक 9211 का ई-मेल और शाम को अनिताकुमार जी का ई-ग्रीटिंग कार्ड। देर से आयी मीनाक्षी जी की टिप्पणी नें तो फारसी में जन्म दिन मुबारक सुना दिया! 

यही नहीं कि यह ब्लॉगरी में ही हुआ हो। मेरे दफ्तर में मुझे बुके दिया गया। सामुहिक मिष्टान्न का कार्यक्रम रहा। ढ़ेरों लोग मुझसे मिलने आये। बहुत ही विशिष्ट दिन रहा आम जिन्दगी में भी।

मित्रों लगता है आप सब के संसर्ग ने मेरे पर्सोना में व्यापक परिवर्तन का सूत्रपात कर दिया है।

एक और खास बात यह रही कि कई ब्लॉगर मित्र जिनसे बौद्धिक/वैचारिक मतभेद कभी न लिपिड़ियाने की परम्परा निर्वाह करने की आदत के चलते आवृत नहीं रहे – वे भी थे। अभय और अविनाश के ब्लॉग पर मैं टिप्पणी करने से बचता रहता हूं – दूसरे ध्रुव की सोच रखने के कारण। वे भी जन्म दिन की बधाई देने वालों में थे। यह भी बहुत अच्छा लगा। उनके बारे में भी बेहतर समझ बनेगी समय के साथ। 

मेरी पत्नी प्रसन्न हैं – बार-बार कह रही हैं कि तुम्हारा जन्मदिन कभी ऐसा तो नहीं रहा। सभी टिप्पणियाँ ध्यान से पढ़ कर प्रसन्न हो रही हैं। कह रही हैं कि यह परिवर्तन इन्ही सब (यानी आप सब) के कारण हुआ है।

सही में मित्रों आप सब तो मेरा पर्सोना ही बदले दे रहे हैं! अ चेंज फॉर द बैटर! बहुत बहुत धन्यवाद। और फुरसतिया की पोस्ट के कल के गीत के शब्द उधृत करूं –

पंक्तियां कुछ लिखी पत्र के रूप में,
क्या पता क्या कहा, उसके प्रारूप में,
चाहता तो ये था सिर्फ़ इतना लिखूं
मैं तुम्हें बांच लूं, तुम मुझे बांचना।

यह परस्पर बांचन चलता रहे मित्रों!


इस पर्सोना में परिवर्तन की सोच कर मुझे कृतमाला (अलकनन्दा) में नहाते वैवस्वत मनु की याद आ रही है। उनके हथेली में जीरे के आकार की छोटी सी मछली आ गयी थी, जिसे वे साथ आश्रम में लेते आये थे। वह मछली उन्होने पानी भरे छोटे मिट्टी के बर्तन में रख दी थी। पर वह बढ़ने लगी। उसे मिट्टी के पात्र से नांद, नांद से तालाब और अंतत: वे उसे नदी में ले गये। जब प्रलय आयी तो यही जीरे के आकार की परिवर्तित मछली ही थी जो उन्हे और सप्तर्षियों को बचाने उनकी नाव को विशाल पर्वत तक ले कर गयी। उसी से नव युग चला। जीरे जैसी छोटी मछली युग परिवर्तन का सूत्रपात कर सकती है!

सम्भावनायें अनंत हैं। मेरा ट्रांसफार्मेशन तो बहुत छोटे स्केल की चीज है। 


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

34 thoughts on “मित्रों, आप तो मेरा पर्सोना ही बदल दे रहे हैं!

  1. बस इसी तरह आप लिखते रहिये. और हाँ काकेश जी ने कुछ पूछा है. :)

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  2. भाई ज्ञान जी. आज घूमते घामते आपकी गली में आ निकला.देखा तो मज़ा आ गया आपकी रचनाएं देख कर. मानो सुबह सुबह गरमा गरम जलेबियां छनती देख ली हों हलवाई की कड़ाई में और खूब रस ले ले कर खाने को मिल गयी हों. देर से ही सही, इन जलेबियों के स्‍वाद के साथ जनम दिन की बधाई. खूब खूब अच्‍छा लिखेंसूरज

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  3. यकीनन संभावनाएं अनंत हैं। ट्रांसफॉर्मेशन किसी भी जन्मदिन से शुरू हो सकता है। बस इंतजार कीजिए।

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  4. ज्ञानजी, बधाई तो हमने भी आपको कल ही दे दी थी, लेकिन लगता है आपको हमारी बधाई दिखी नही। इसलिये एक बार फिर दे देते है जन्म दिन की शुभकामनायें।

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  5. आज ही पता लगा आप का जन्म दिन कल ही निकल गया। बहुत बहुत बधाइयां। स्वयं को लोगों के सामने अभिव्यक्त कर वस्तुत: अपने अहंकार को तिरोहित करना है, यह आप नित्य ही कर रहे हैं। इस से व्यक्तित्व निखरता है। आप दिनों दिन निखरते जा रहे हैं। यह सूचना भी हो सकती है। बधाई तो है ही।

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  6. आपको हार्दिक शुभकामनाऍं, क्षमा चाहूँगा कि कल आपको बधाई न दे सका, फोन करने की सोच रहा था किन्‍तु एक झिझक वश अपने से उम्र में बड़ो को फोन करने से बचता हूँ। पर पूरे दिन आपका नम्‍बर आपके साथ था। आपको जन्‍मदिन पर हार्दिक बधाई ।

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  7. वैसे कल पैदा हुए लोग बड़े महान हैं.. देखिये नेहरू जी भी कल ही पैदा हुए थे.

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  8. अरे सर पर्सोना बदला नहीं है। धांसू हो गया है। जींस की शर्ट में जम रहे हैं। जन्मदिन की शुभकामना

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  9. हमारी तरफ से भी बिलेटेड बधाई स्वीकार करें। जन्मदिन के लिए भी और बेहतर बदलाव के लिए भी।

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  10. सबसे पहले आपके जन्मदिन की बधाइयां. वो क्या कहते हैं ना ‘बिलेटेड हैप्पी बर्थ डे’. क्या है कि कल नैट से दूर थे और आपने अपना मोबाइल नम्बर तो दिया ही नहीं. खैर.. यह जानकर अच्छा लगा कि आपका व्यक्तित्व बदल रहा है. वैसे भी आप इस शर्ट में इत्ते धांसू च फांसू लग रहे हैं कि कित्ती राखी,मल्लिका और लिज पानी भरें. ;-) वैसे इन तीनों में से किसका फोन आया था ये तो आपने बताया ही नहीं. ;-)

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