कहाँ से कसवाये हो जी!


साइकल ऑफ-द-शेल्फ मिलने वाला उत्पाद नहीं है। आप दुकान पर बाइसाइकल खरीदते हैं। उसके एक्सेसरीज पर सहमति जताते हैं। उसके बाद उसके पुर्जे कसे जाते हैं। नयी साइकल ले कर आप निकलते हैं तो मित्र गण उसे देख कर पूछते हैं – ‘नयी है! कहाँ से कसवाये भाई!?’। नयी चीज, नया प्रकरण या नया माहौलContinue reading “कहाँ से कसवाये हो जी!”

Design a site like this with WordPress.com
Get started