यह बुधवार का श्री पंकज अवधिया का स्वास्थ्य विषयक अतिथि लेख है। पंकज अवधिया वनस्पति वैज्ञानिक हैं और रायपुर में रहते हैं। उनके दूसरे ब्लॉग – पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान में आप को उनके इण्टरनेट पर उपलब्ध अनेक लेखों के लिंक मिलेंगे जो उनकी विस्मय में डाल देने वाली ऊर्जा और व्यापक ज्ञान से आपको परिचय करायेंगे। आप नीचे हल्दी के दांतो पर प्रयोग के विषय में लेख पढ़ें –
प्रश्न: आप तो जानते ही हैं कि अमेरिका मे दाँतो का इलाज कितना महंगा है और दाँत है कि आए दिन तकलीफ पहुँचाते हैं। बहुत सारे देशी-विदेशी मंजन अपनाये पर समस्या बनी हुयी है। मुँह की दुर्गन्ध के कारण अपमानित होना पडता है। कोई सस्ता पर कारगर उपाय बतायें।
उत्तर: आपके प्रश्न के लिये धन्यवाद। दाँतो के लिये तो अनगिनत उपयोगी नुस्खे है पर मुश्किल यह है कि किसी भी एक उपाय को हम ज्यादा समय तक नहीं जारी रखते है। हमें जल्दी लाभ की आशा रहती है।
एक साधारण सा दिखने वाला नुस्खा बताता हूँ। यह नुस्खा है घर मे उपयोग की जाने वाली हल्दी का। रात को सोते समय हल्दी चूर्ण को मसूड़ों और दाँतो मे लगा लें। फिर कुछ समय बाद कुल्ला कर लें। याद रखे दाँतो पर इसे घिसना नही है। रात के समय यह करें। सुबह आप अपना मनचाहा मंजन या पेस्ट करे। हल्दी के प्रयोग के बाद मंजन न करे। सबसे पहला प्रभाव तो आपको मुँह मे ताजगी के अहसास से दिखेगा। शीघ्र ही दुर्गन्ध से भी मुक्ति मिल जायेगी। सबसे बडी बात है कि नयी समस्याएँ नही आयेंगी। इस प्रयोग में नियमितता बहुत जरूरी है।
हल्दी |
अधिक लाभ के लिये जंगली हल्दी का प्रयोग किया जाता है। आपके देश मे यह शायद उपलब्ध न हो अत: आम हल्दी का ही प्रयोग करें। हम सब भले ही शहरो मे हैं पर हमारे तार गाँवो से जुडे हैं। इन्ही गाँवो मे हमारे स्वास्थ्य की कुंजी है। हल्दी वहीं से मंगवाये। आप तो जानते ही हैं कि शहरी भागो मे फसलों के उत्पादन मे भारी मात्रा मे कृषि रसायनो का प्रयोग होता है। इससे उत्पादन तो बढता है पर गुणवत्ता कम हो जाती है। सुदूर गाँव अब भी इससे बचे हैं। जंगली हल्दी की खेती नही होती इसलिये अब भी यह शुद्ध रूप मे मिल जाती है।
यदि पारम्परिक चिकित्सकों की मानें तो हल्दी जितनी कम पीली हो उतनी ही अच्छी है। आपकी आँखो को अच्छा लगे इसलिये आजकल आकर्षक रंग मिलाये जाते हैं। हमारे देश मे रंगो पर सरकारी विभागो का कितना नियंत्रण है यह तो आप जानते ही हैं।
हल्दी के साथ नमक और सरसो के तेल जैसे घटको को मिलाकर दसियों नये मिश्रण बनाये जा सकते हैं पर विशेषज्ञ इन्हे उचित मार्गदर्शन मे प्रयोग की सलाह देते हैं। मैने अनुभव किया है कि नमक का प्रयोग मुँह को लम्बे समय मे नुकसान पहुँचाता है। सरसो तेल की सनसनाहट से मुँह के स्वाद पर असर पड़ता है। अत: हल्दी का साधारण प्रयोग ही अधिक सीधा और सरल उपाय़ है।
इन विस्तारों से भयभीत न हों। किसी भी गुणवत्ता की हल्दी अपनायें; अपना सकारात्मक असर तो वह दिखायेगी ही।
पंकज अवधिया
पिछला अतिथि लेख: हर्रा या हरड़ – एक चमत्कारिक वनौषधि
हल्दी भारतीय वनस्पति है। यह अदरक की प्रजाति का ५-६ फुट तक बढ़ने वाला पौधा है जिसमें जड़ की गाठों में हल्दी मिलती है। हल्दी पाचन तन्त्र की समस्याओं, गठिया, रक्त-प्रवाह की समस्याओं, केन्सर, जीवाणुओं (बेक्टीरिया) के संक्रमण, उच्च रक्तचाप और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की समस्या और शरीर की कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत में लाभकारी है।
ये फायदे मैने इण्टरनेट सर्च से उतारे हैं!
वैसे मेरी पत्नी सर्दी-जुकाम होने पर रात मे सोते समय अनिवार्यत: हल्दी का चूर्ण दूध में मिला कर पीने को देती हैं। उसे मैं आंख बन्द कर पूरी अनिच्छा से गटकता हूं। गटकता अवश्य हूं। लाभप्रद जो है! – ज्ञानदत्त पाण्डेय

उपयोगी जानकारी
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गुड है जी!!वैसे आपको मेरे दांतो के बारे मे किस सूत्र से जानकारी मिल गई आपको जो आपने इस्पेशली मेरे लिए यह पोस्ट लिखवा दी :)शुक्रिया आप दोनो का!!
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हल्दी दूध पीते भी हैं और पिलाते भी हैं. दाँतों पर इसका प्रयोग नया अनुभव होगा.आपका और अवधिया जी का बहुत बहुत धन्यवाद..
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किसी रिसर्च में यह भी सिद्ध हुआ है कि बुढ़ापे का स्मृति भ्रंश रोग -अल्जाइमर्स को हल्दी के प्रयोग से कुछ हद तक कम किया जा सकता है.
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आज ही इसको नियमित रूप से करते हैं ..बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने :)
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हल्दी के इस प्रयोग को बताने के लिये आपका और अवधिया जी का धन्यवाद.
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कमाल का नुस्खा । हल्दी तुझमें कितने गुण । इस जानकारी के लिये धन्यवाद।
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हल्दी वाला दूध तो हम भी पीते हैं.. पर दाँत वाला प्रयोग तो अनोखा है.. आजमाया जाएगा..
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ऐसी काम की हल्दीरामी पोस्ट के लिए शुक्रिया। अब तो आप ही ब्लाग एग्रीगेटर हुए जा रहे हैं जी। क्या आप भी नारद से कंपटीशन सा कर रहे हैं. पर इस तरह के नुस्खे और पढ़वाइये।
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यह तो लगता है हमारे लिये खासकर आपने लिखवायी है। हमारे दांत फ़ुरसतिया पोस्ट की तरह लम्बे हैं और नेताऒं क तरह अस्थिर हैं। हल्दी लगता है इसीलिये हमारे घर में लगाई जाती है। किसी को चाहिये तो आये और ब्लागर-मीट के साथ हल्दी ले जाये। :)
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