दीये बेचती मल्लाहिन परुली?


वाराणसी का मेरा सरकारी निवास। पुराना, दीमक, छिपकलियों और बारिश की टपकन से युक्त, पर एक शानदार एन्टीक पीस!

सन २००५ की देव दीपावली। हम वाराणसी में रहते थे। उस समय की देव दीपावली का दिन। शाम ढ़ल गयी थी। गंगा आरती सम्पन्न हो गयी थी। हम लोग एक नाव पर सवार दृष्य देख रहे थे। दीप दान का समय हो गया। अचानक कहीं से नावों को डांकती हुई एक १२-१३ वर्ष की लड़की, हाथ में डलिया लिये हमारे नाव पर आ गयी। वह दीये बेच रही थी। मार्केट में डिमाण्ड-सप्लाई का सिंक्रोनस मैचिंग। नाव पर सभी लोग उससे दीये लेने में व्यस्त हो गये। मैं तो पहले गंगा में बहते दीये देख रहा था। अचानक मुझे लगा कि यह बालिका का चेहरा बहुत सुन्दर है। समय रहते मैने फोटो खींच ली उसकी। अन्यथा वह जितनी तेजी से हमारी नाव पर आयी थी, दीये बेंच, उतनी ही तेजी से, कूद कर दूसरी नाव पर चली गयी।

आज पुरानी फोटुयें देखते हुये उसकी फोटो दीख पड़ी। स्मृति में वह उभर आयी मल्लाहिन कन्या। पता नहीं उसकी शादी न हो गयी हो। बाल विवाह तो सामान्य बात है आज के युग में भी। पर मन कसकता है कि वह काकेश की परुली की तरह एमबीए कर एक कुशल व्यवसाई बन जाये!

दीये की डलिया लिये मल्लाहिन बालिका
और जरा उस लड़की के हाथ में सस्ती पर चमकदार पीले पट्टे वाली डिजिटल घड़ी तो देखिये! कितनी साध से उसने पहन रखी है!

चलते – चलते: मेरी कल की पोस्ट पर अनिता कुमार जी की टिप्पणी, अगर आप ने न देखी हो –

अब जब आप राखी सांवत के घेरे में आ ही रहे हैं तो एक चुटकला सु्निए (शायद आलोक जी ने बनाया है इसे):
एक 99 साल का आदमी स्वर्ग की रौनक और अप्सराएं देख कर बोला; “ये रामदेव बाबा और उनके प्राणायाम के चक्कर में न पड़ा होता तो यहां पहले ही आ गया होता, बेकार में इतना टाइम वेस्ट किया”!
Angel 7


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

20 thoughts on “दीये बेचती मल्लाहिन परुली?

  1. कई दिनों बाद आज आपके ब्लॉग को इत्मीनान से पढ़ने का मौका मिला. मल्लाहिन परुली के प्रति स्नेह, ममता और संवेदना दिखी तो राखी सावंत(?) के प्रति विरक्ति का भाव ….ऐसा क्यों…? उत्सुकता जागी सो पूछ लिया.

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  2. इसका भी नाम परुली है तो काकेश जी की परुली जैसा सुंदर भाग्य होगा ही। वैसे भी उसके चेहरे पर एक दृड़ता दिखती है, तो साफ़ है कि झुझारू होगी। ये गंगा पूजा की बातें तो मेरे लिए एकदम नयी हैं, कितना कुछ है अपने ही देश में जो देखना सुनना बाकी है, पता नही कितना…॥आप को जोक पसंद आया लगता है हमें खुशी है।

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  3. हम तारीफ़ करते हैं लेकिन समर्थन आलोक पुराणिक की बात का करते हैं। अनीताजी चुटकुला अच्छा सुनाती हैं जी!

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  4. ज्ञान जी, इतना कुछ करने के लिए आप समय कैसे निकाल लेते हैं? आपकी पोस्ट बहुत प्रेरणा देती है. ऐसे ही रौशनी बिखराते रहिये…शुभकामनाएँ

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  5. चित्र देखकर लगता है कि इसमे कुछ बात है। यह साधारण बालिका से हटकर है। भगवान करे कि उसे जीवन के हर क्षेत्र मे सफलता मिले।

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