एक समाजवादी – एक बेशर्म, निर्लज्ज, भंगार, कबाड़गृह, या इसी तरह के अनूठे नाम के ब्लॉग का सृजक और रेगुलर पोस्ट ठेलक।
दो समाजवादी – वीथिका, पगडण्डी, वातायन, गली, चौराहा जैसे नाम के ज्वाइण्ट ब्लॉग के सदस्य। उनमें एक ब्लॉग मॉडरेटर और दूसरा ब्लॉग एड्मिनिस्ट्रेटर। कोई दूसरे से कमतर नहीं।
तीन समाजवादी – एक अखिल भारतीय समत्वयुक्त जातिविरोधी महासंघ नामक राजनैतिक दल।
चार समाजवादी – दो राजनैतिक दल – 1. अखिल भारतीय समत्वयुक्त जातिविरोधी महासंघ (संगठित) और 2. अखिल भारतीय समत्वयुक्त जातिविरोधी महासंघ (असंगठित)।
पांच समाजवादी – अगले चुनाव के पहले गठित भारत का छठा मोर्चा!
उससे ज्यादा समाजवादी – आप बतायें?!
1. सभी समाजवादियों से अग्रिम क्षमायाचना सहित।
2. 400 वीं पोस्ट गिरते – पड़ते हो ही गयी!
इतनी महत्वपूर्ण ४०० वीं पोस्ट हमसे कैसे मिस हो गयी । पंगा लेने के लिये बधाई । इसका अर्थ है कि सारे समाजवादियों को अकेले ही काम करने देना चाहिये, साथ में मिल बैठने की इजाजत न हो :-)एक और समस्या है कि गलती से हमारा ईमेल (स्कूल वाला) कुछ समाजवादियों के हाथ लग गया है और सब लेख पे लेख पेले जा रहे हैं । एक लेख लिखता है तो दूसरा बधाई देने के लिये भी Reply All करता है । अब कम्यूनिस्ट लोग हों तो हम सह भी लें लेकिन समाजवादी…न बाबा न 🙂
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Three cheers on 400th post !
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गुरु जी की चार सौंवी पोस्ट के लिये बधाई।समाजवाद पढा तो पहले भी था पर यह व्याख्या एकदम नवीन लगी।
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Congratulations on your 400th Post Gyan bhai sahab & waiting for many more …Rgds,L
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याद आता है, ‘मन्नू भैया की बारात’ में परसाईजी ने ऐसे ही नहीं लिखा था कि दो-चार समाजवादियों को भी बारात में साथ ले चलो. बाद में उन्होंने गद्दे फाड़कर समाजवादी होने का पक्का सबूत दिया था. हाआहाहा!
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चार सैकडे पूरे किए सिक्सर जमा के. दुगनी बधाई.
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ab woh 6 ho ya 600 aap sab par bhari hai ………400vi post ki badhaiyan
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