कल मैं नारायणी आश्रम में लौकी का जूस बेचने की बिजनेस अपॉर्चुनिटी की बात कर रहा था। पर रीडर्स डाइजेस्ट के एक फिलर में तो एक बढ़िया बिजनेस विवरण मिला।
एक दिल्ली के व्यवसायी, केप्टन बहादुर चन्द गुप्ता, लोगों को हवाई यात्रा का अनुभव कराने का काम कर रहे है – केवल 150 रुपये में। एक ऐसे हवाई जहाज में यात्रा अनुभव कराते हैं जिसमें एक पंख है, पूंछ का बड़ा हिस्सा गायब है, इसके शौचालय काम नहीं करते और एयरकण्डीशनिंग एक जेनरेटर से होती है। और यह हवाई जहाज कभी टेक-ऑफ नहीं करता।
बहादुर चन्द गुप्ता ने यह हवाई जहाज एक इंश्योरेंस कम्पनी से सन २००३ में खरीदा। इसे तोड़ कर फिर दक्षिण दिल्ली के एक सबर्ब में जोड़ा गया।
भारत में 99 फीसदी से ज्यादा लोग हवाई जहाज पर नहीं चढ़े हैं। (मैं भी नहीं चढ़ा हूं!)। ऐसी जनता में हवाई जहाज का वातावरण जानने की बहुत उत्सुकता होती है। उस जनता को केप्टन बहादुर चन्द गुप्ता एयरबस 300 में चढ़ाते हैं – एक ऐसी ट्रिप पर जो कहीं नहीं जाती! उसमें परिचारक/परिचारिकायें ड्रिंक्स सर्व करते हैं और सुरक्षा के सभी डिमॉंस्ट्रेसंस करते हैं। उस टीम में गुप्ता जी की पत्नी भी हैं।
केप्टन गुप्ता रेगुलर अनाउंसमेण्ट करते हैं — “हम शीघ्र ही जोन-ऑफ टर्बुलेंस से पास होने जा रहे हैं”, “हम शीघ्र ही दिल्ली में लैण्ड करने वाले हैं” — आदि! और इस पूरी यात्रा के दौरान खिड़की के बाहर का दृष्य यथावत रहता है।
इसपर यात्रा करने वालों को बहुत मजा आता है!
देखा जी; बिजनेस अपॉर्चुनिटीज की कोई कमी है?! नौकरी न कर रहे होते तो कितने तरीके थे बिजनेस के!!!
(यह फिलर रीडर्स डाइजेस्ट के अप्रेल 2008 के पेज 164 पर है।)
आप टाइम्स ऑनलाइन पर Book now for the flight to nowhere में भी यह देख सकते हैं। यह खबर सितम्बर २००७ की है। शायद पहले आपने देख रखी हो।
और यह है खड़े विमान के सफर का वीडियो:
http://www.liveleak.com/e/b63_1198826232
खैर, कल दिनेशराय द्विवेदी, उडन तश्तरी और अरविन्द मिश्र जी ने बड़े पते की बात कही। मेरी यह बिजनेस विषयक सोच तब आ रही है जब नौकरी कायम है। अन्यथा एक छोटा कारोबार करने में भी इतनी मेहनत है कि हमारा असफल होना शर्तिया लगता है।

यह लेख मैंने भी रीडर्स डाइजेस्ट में पढ़ा था, तब सोचा नहीं था कि इस पर इतनी ख़ूबसूरत, सफल ब्लॉग पोस्ट भी लिखी जा सकती है.जाहिर है, आप चाहे कोई भी धंधा नौकरी के बाद करें, छोटी या बड़ी – सफल होगी ही. मनोयोग से व कुछ अलग तरह से करने की ही दरकार होती है शायद… :)
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सही है।दिमाग होना चाहिए,पैसा तो अच्छा कमाया जा सकता है।
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जब तक आप रिटायर होगे तब तक हम अमेरिका से पुरानी स्पेस शटल को फ़रीदा बाद मे लगा चुके होंगे जी,आप चाहे तो इसमे पत्ती डाल ले ,आप हमे सीधे पैसा ट्रान्सफ़र भी कर सकते है. हमारॊ सारी लाईने चौबीस घंटे खुली है.:)
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बिजनेस और राखी सावंत, दूर से ही रोचक लगते हैं। पास जाकर हाथ आजमायेंगे, तो पिटेंगेजी। बिजनेस की मेंटेलिटी अलग होती है। लंबे समय तक नौकरी में रहने के बाद वह एक निश्चित सुरक्षा और तय जीवन की आदत बिजनेस के लिए एकदम घातक हो जाती है। असुरक्षा, अनिश्चितता, जोखिम जो ले सकते हैं, बिजनेस उन्ही के लिए है। वरना तो रेल ठेलिये और ब्लाग ठेलिये। गंगा नहाईये, लौकी का जूस पीजिये। मजे की छन ही रही है। काहे टेंशन लेते हैं।
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अब भला आप रेल सलून के कम्फर्ट जोन से निकल कर कहाँ हवाई यात्रियों की भीड़ मे फसेंगे ,आप रेल मे ही कुछ व्यवसाय-व्यापार के नुस्खे क्षद्म नाम से या किसी और ब्लॉग के जरिये बताएं तो कृपा होगी -यह चिराग तले अँधेरा ठीक नही ,आप अपने फर्स्ट हैण्ड अनुभव के बजाय हम लोगों को इधर उधर भटका रहे हैं -कस्तूरी कुंडल बसे ……
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सैर, हवाई जहाज की, वह भी बिना उड़े। आप की इस बिजनेस श्रंखला के लिए अच्छा शीर्षक है?
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अगली बार दिल्ली की ट्रिप पर मैं भी इस हवाई जहाज पर उड़ना चाहूंगा।
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वाह, क्या आईडिया दिये हैं. मैं तो तलाश में ही था. १० % की पत्ती आप की भी डाल दूँ क्या??
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सही है। आपको तो बिजनेस बहादुर की उपाधि मिल जानी चाहिये। दिल्ली हो आइये और इस जहाज में बैठ के ब्लाग लिखिये।
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कमाल के बिजनेस आइडिया हैं।
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