फीडबर्नर कई प्रकार के आंकड़े देता है। एक है अब तक के सर्वाधिक व्यू और क्लिक्स के आधार पर लोकप्रिय पोस्टों के आंकड़े।
इसके आधार पर मेरी अब तक की सर्वाधिक व्यू/क्लिक की गयी पोस्टें हैं –
| फोटो में कैप्शन लगाने की तकनीक | २२ अक्तूबर २००७ |
| डुप्लीकेट सामान बनाने का हुनर | १८ अक्तूबर २००७ |
| ई-पण्डित को धन्यवाद – विण्डोज लाइवराइटर के लिये | १४ अक्तूबर २००७ |
| बरखा बिगत सरद रितु आई | २ अक्तूबर २००७ |
| पापा, मैं तो घास छीलूंगा! | २९ अक्तूबर २००७ |
| एक पुरानी पोस्ट का री-ठेल | ३४ अक्तूबर २००७ |
| फीड एग्रेगेटर – पेप्सी या कोक | २६ अक्तूबर २००७ |
| ’जय हिन्द, जय भारत, जय लालू’ | २५ अक्तूबर २००७ |
| व्योमकेश शास्त्री उर्फ हजारी प्रसद द्विवेदी – लेख का स्कैन | २७ अक्तूबर २००७ |
| तहलका तारनहार है मोदी का?(!) | ३० अक्तूबर २००७ |
मजे की बात है कि ये सारी पोस्टें अक्तूबर २००७ की हैं। अब या तो हमारे पोस्ट ठेलने में उसके बाद दम नहीं रहा या फिर फीडबर्नर स्वर्ण युग के दर्शन भूतकाल में किया करता है?! ![]()
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और यह देख कर मैं फीडबर्नर की बजाय स्टैटकाउण्टर के आंकड़ों पर ज्यादा भरोसा करूंगा!!!
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मतबल जे हुआ कि आप यदा-कदा इस बात पे नज़र डालते रहते हैं कि कौन सी पोस्ट कितनी हिट हुई है। जरूरी है जरुरी है।
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@ रविरतलामी – मैं भी कुछ ऐसा सोचता था। पर मामला कुछ गड्ड-मड्ड है। स्टैटकाउण्टर हिन्दी फीड एग्रेगेटरों के माध्यम से भी काउण्टर बढ़ाता है, पर फीड एग्रेगेटर्स का फीड कॉण्ट्रेक्टर फीडबर्नर है!बोनस मेरे वे पाठक हैं जो सीधे आते हैं, फीडबर्नर की दलाली से नहीं। उनमें बढ़िया सर्च इन्जन के माध्यम से हैं।पर आप एक विशद लेख पोस्ट कर सकते हैं इस पर। मेरी तो तकनीकी क्षमता नहीं है।मैं दोगुना प्रसन्न नहीं हूं, सवाया या ड्योढ़ा हूं! :-) @ डा. अमर कुमार – देखिये पोस्ट ठेलने का दायित्व मैने रवि जी पर ठेल दिया है!:)
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गुरुवर,आँखें खोल देने वाली पोस्ट, नये ब्लागर्स के लिये, प्रकाश स्तंभ ! बधाइयाँ !मेरी फ़रमाइश है कि आप इसी बात पर एक पोस्ट ठेल ही दें, शीर्षक आँकड़ों में जीने का सुख ! आपमें झमता है, आप अवश्य ही ठेलेंयह शीर्षक, ताकि दूसरे ठेलुओं की आँखें खुल जायें । सादर !
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मेरे विचार में आपको दोगुना प्रसन्न होना चाहिए :)फ़ीड बर्नर वही आंकड़े दिखाता है जो आपके चिट्ठों की फ़ीड को सब्सक्राइब कर पढ़ते हैं. ये आंकड़े स्टेटकाउंटर के आंकड़ों के अतिरिक्त हैं. यानी आप चाहें तो इन्हें स्टेटकाउंटर के आंकडॉ़ में जोड़ सकते हैं. :)
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चलिये अब आज ये सारी पोस्ट फिर से पढ जाते है। रविवार का सदुपयोग।
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असल में भूत काल हमेशा ही सुहावना होता है। बताएं बचपन कैसा लगता है?
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आंकड़ों की बाजीगरी बड़ी अजब-गजब चीज है। लिखते रहें जो होगा देखा जायेगा।
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क्या कमाल की बात है. हम तीन दिन से सर खपा रहे थे. आप ब्लॉग पोस्ट में टेबल टेग का प्रयोग इतनी खूबी से कैसे करते हैं, इसी की तलाश में. बार बार आपके ब्लॉग का html source खंगाल रहे थे. और आज ये पोस्ट. विंडोस लाइव रायटर काम की चीज लगती है. इस्तेमाल करेंगे. आपका बहुत आभार.
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ज्ञान जी ,आपके पोस्ट की पसंद क्या है इसके लिए आंकडों की जरूरत ही नही है -आंकडे वहाँ उपयोग मे लाये जाने लगे हैं जहाँ किसी बात में वैस तो कोई ख़ास दम नही होता ,मगर आंकडों की बाजीगरी से उसे प्रोजेक्ट करना होता है .आप इन थर्ड ग्रेड हथकंडों के ऊपर है ज्ञान जी -बस हिन्दी ब्लॉग की शान बनाएं रखें -कभी कभी लगता है आप [कृष्ण की तरह ]ब्लोकुल [ब्लॉग+गोकुल] से बस निकल भागने वाले हैं .उद्धव का भी आप ने जुगाड़ कर ही रखा है .
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ये भी हो सकता है अक्टू्बर २००७ अपके जीवन के गोल्डन पिरीयड का शो केस याने ट्रेलर रहा हो-जो अब शुरु हुआ है..समझिये अब आप पूरे ब्लॉग जगत पर अपना वर्चस्व कायम करने जा रहे है. मगर कैसे, वो तो है ही!!
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