लाल कृष्ण अडवानी जी की किताब, बुद्धिमान उल्लू और गोजर


Adwani Bookमेरे दामाद और मेरी बिटिया ने अपनी शादी की साल गिरह पर मुझे अडवानी जी की ऑटोबायोग्राफी – My Country, My Life उपहार में दी है। मुझे पुस्तक से ज्यादा इस विचार से प्रसन्नता है कि वे १००० पेज की मोटी पुस्तक पढ़ने के लिये मुझे सुपात्र मानते हैं। यद्यपि पुस्तक की मोटाई देख कर ही उसे पढ़ने का कम, घूरते चले जाने का मन अधिक करता है!

बच्चे! यह नहीं अनुमान लगाते कि पहले ही पठन का बैकलॉग कितना बड़ा है। ऊपर से यह मोटी किताब। इस किताब का प्लस प्वॉइण्ट यह है कि पुस्तक अपठनीय/बोर नहीं नजर आ रही। वैसे भी देश इलेक्शन मोड में आने जा रहा है। यह पुस्तक पढ़ कर कुछ गर्माहट आयेगी। आजकल अखबार पढ़ना और टेलीवीजन देखना बंद कर रखा है। अत: राजनीति का अन्दाज नहीं हो रहा। अडवानी जी की किताब से वह शायद पुन: प्रारम्भ हो।

आप तो इस पुस्तक का एक किस्सा सुनें जो उस समय के दिल्ली के लेफ्टिनेण्ट गवर्नर श्री आदित्यनाथ झा, आई सी एस, ने अडवानी जी को मन्त्री-नौकरशाह के सम्बन्ध समझाने को सुनाया था।

एक उम्रदराज मादा सेण्टीपीड (गोजर – कानखजूरा) को अर्थराइटिस हो गया। दो पैर वाले को गठिया जकड़ ले तो जीवन नरक हो जाता है। यह तो गोजर थी – शतपदी। बच्चों ने कहा कि बुद्धिमान उल्लू से सलाह ले लो। गोजर बुद्धिमान उल्लू के पास गयी। उल्लू ने विचार मन्थन कर बताया कि तुम्हारी गठिया की समस्या तुम्हारे ढेरों पैर होने के कारण है। तुम कौआ बन जाओ तो यह समस्या अपने आप खतम हो जायेगी। गोजर खुशी खुशी घर आयी और बच्चों को बुद्धिमान उल्लू की सलाह बताई। पर बच्चों ने कहा कि आप कौआ बनेंगी कैसे। गोजर बोली कि यह तो वास्तव में मिस्टेक हो गयी। “खुशी के मारे तो मैं यह पूछना ही भूल गयी”।

गोजर फिर बुद्धिमान उल्लू के पास निर्देश पाने को गयी। बुद्धिमान उल्लू उसका प्रश्न सुन कर एक पक्के कैबिनेट मन्त्री की तरह बोला – “मेरा काम तो बतौर मन्त्री पॉलिसी बनाना/बताना है। उसका क्रियान्वयन कैसे होगा वह तुम जानो!”


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

22 thoughts on “लाल कृष्ण अडवानी जी की किताब, बुद्धिमान उल्लू और गोजर

  1. मज़ेदार क़िस्सा। शायद निजी जीवन में भी यह सीखने जैसी बात है कि क्रियान्वयन पर भी बराबर का ज़ोर होना चाहिए।

    Like

  2. जो हो, वो न रहो,
    जो न हो, वो हो जाओ,
    कुछ नयापन लाओ,
    भले ही खप जाओ।

    एक वर्ष का विराम ले लिया है, नयी पुस्तकों से, नये गजट से..

    Like

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started